सेंट्रल एजेंसियों के दुरुपयोग पर बरसे तीन-तीन पूर्व चुनाव आयुक्त
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
ऐन लोकसभा चुनाव के बीच ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए दिल्ली के सीएम अरविंंद केजरीवाल को १५ अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इससे वे चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे। उनकी तरह आम आदमी पार्टी और दूसरी पार्टियों के कई बड़े नेता भी इस समय जेल में हैं और चुनाव से दूर हैं। इसके साथ ही इनकम टैक्स ने कांग्रेस को करोड़ों रुपए भरने का नोटिस दिया है। ऐसे में तीन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने सेंट्रल एजेंसियों पर बरसते हुए कहा कि ऐन चुनाव के मौके पर विपक्षियों को जेल भेजना और नोटिसें देना गलत है।
इस समय कई विपक्षी दल समस्याओं से जूझते नजर आ रहे हैं। कोई अपने नेता को बचाने में जुटा है, तो किसी के सामने पार्टी को टूटने से बचाने की चुनौती है और कोई खाता प्रâीज कर दिए जाने के चलते कानूनी लड़ाई में उलझी है। कांग्रेस, आप समेत अन्य दलों का आरोप है कि मोदी सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। अब तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने कहा है कि हाल के दिनों में जिस तरह से इनकम टैक्स और ईडी ने विपक्षी दलों और उनके नेताओं पर कार्रवाई की है, वह चुनाव में गैर-बराबरी पैदा कर रहा है। यानी, सभी पार्टियों के लिए चुनावी मैदान एक-सा सपाट नहीं है। तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों में एक एसवाई कुरैशी हैं, जबकि दो मुख्य चुनाव आयुक्तों ने नाम नहीं छापने का आग्रह किया है। बता दें कि गत शनिवार ३० मार्च को कांग्रेस ने बताया था कि उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से २०१४-२०१५ और २०१६-२०१७ के लिए एक नोटिस मिला है। नोटिस में १,७४५ करोड़ रुपए टैक्स जमा करने को कहा गया है। इसके पहले १९९४-१९९५ और २०१७-२०१८ के लिए नोटिस आया था। चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुखों के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है और चुनाव आयोग को कम से कम एजेंसियों से मिलकर यह पता लगाना चाहिए कि आईटी विभाग टैक्स की अपनी डिमांड को चुनाव खत्म होने तक क्यों नहीं टाल सकता।