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११ महीने में १२ बज गए : डिजिटल अरेस्ट में मुंबईकरों के लुट गए रु. १००,००,००,०००/- …राज्य सरकार को सुध नहीं

फिरोज खान / मुंबई
इस साल मुंबई में जिस तरह से डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं हुई हैं, उससे ऐसा लग रहा है मानो सायबर फ्राॅड करनेवालों ने इस आर्थिक राजधानी को ही ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया हो। बैखौफ होकर बड़ी आसानी से सायबर ठगों ने मुंबईकरों को डिजिटल अरेस्ट कर लूटा है। कहीं ईडी अधिकारी बनकर, तो कहीं सीबीआई ऑफिसर बनकर मुंबईकरों को डिजिटल अरेस्ट किया गया और उन्हें करोड़ों रुपए की चपत लगाई गई। इस साल ११ महीनों में मुंबई में डिजिटल अरेस्ट के १०२ मामले हुए और तकरीबन १००,००००००० (एक अरब) रुपए का फ्राॅड किया गया।
पिछली ‘ईडी’ सरकार को पुलिस प्रशासन व कानून व्यवस्था का राज स्थापित करने की बजाय दूसरी पार्टियों की तोड़फोड़ करने में ज्यादा दिलचस्पी थी। नई सरकार बनने के बाद भी करीब ढाई-तीन सप्ताह तक गृह मंत्री नहीं था। ऐसे में राज्य सरकार को अपराधों की सुध नहीं नहीं रही। बता दें कि इस साल २०२४ में सायबर प्रâॉड करनेवालों ने खूब जमकर सरकारी ऑफिसर, व्यापारी, महिलाएं और बुजुर्गों को डिजिटल अरेस्ट करके लूटा है। ताज्जुब की बात तो यह है कि सायबर पुलिस १०२ रजिस्टर्ड मामलों में से सिर्फ १६ मामले निपटाने में कामयाब हुई है। अन्य मामलों तक वह पहुंच ही नहीं पाई है। सायबर पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि सायबर प्रâॉड ज्यादातर विदेश से किए जाते हैं, ऐसे में उनकी पहचान करना और उन तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

सायबर ठगों से पुलिस भी परेशान
खाता फ्रीज होने से पहले ही
रकम हो जाती है ट्रांसफर!
-डिजिटल अरेस्ट का फैला खौफ

कोई सीबीआई बनकर या ईडी अधिकारी बनकर कॉल करे तो उस पर विश्वास न करें और फौरन पुलिस स्टेशन में जाकर पता लगाएं।

सायबर ठगों ने आम आदमी की नींदें उड़ा दी हैं। डिजिटल अरेस्ट का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। हर दिन कहीं न कहीं से डिजिटल अरेस्ट की खबरें आ रही हैं। पुलिस परेशान है कि इस पर वैâसे काबू पाया जाए? आला अफसरों का कहना है कि सायबर ठग इतने शातिर होते हैं कि उनका खाता प्रâीज करने से पहले वे सारी रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करवा लेते हैं।
मुंबई में हो रहे सायबर प्रâॉड को लेकर जब क्राइम ब्रांच के पूर्व पुलिस उपायुक्त अंबादास पोटे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोगों को चाहिए कि वे अलर्ट रहें। कोई सीबीआई बनकर या ईडी अधिकारी बनकर कॉल करे तो उस पर विश्वास न करें और फौरन पुलिस स्टेशन में जाकर पता लगाएं। पोटे के मुताबिक, पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती, पुलिस को अगर कोई कार्रवाई करनी होती है तो वह फिजिकली करती है। पोटे ने यह भी बताया कि सायबर प्रâॉड करनेवाले इन दिनों नई टेव्नâोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के अलावा दूसरे तरीकों से भी सायबर ठगों ने ठगी की है। स्टॉक मार्वेâट इनवेस्टमेंट या ट्रेडिंग, नौकरी दिलवाने के नाम पर या चंद दिनों में पैसे दोगुने करने के नाम पर १५ से २० प्रतिशत पीड़ित सायबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाते हैं। शेयर ट्रेडिंग ठगी में चार्टर्ड अकाउंटेंट, बैंक मैनेजर, डॉक्टर, प्रोफेसर, सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस अधिकारी शिकार हो चुके हैं। साथ ही नौकरी धोखाधड़ी में काफी वृद्धि हुई है। २०२४ में सिर्फ पहले ६ महीने में नौकरी धोखाधड़ी में ३६.८९ करोड़ रुपए की ठगी की गई।

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