फिल्म ‘परिणिता’ से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू करनेवाली विद्या बालन ने इससे पहले बांग्ला फिल्म ‘भालो थेको’ से एक्टिंग में डेब्यू किया था। फिल्म ‘परिणिता’ की सफलता के बाद पीछे मुड़कर न देखनेवाली और फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर के २० वर्ष पूरे कर चुकी विद्या बालन फिल्म ‘दो और दो प्यार’ के चलते सुर्खियों में हैं। पेश है, विद्या बालन से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
फिल्म ‘दो और दो प्यार’ साइन करने की क्या वजह रही?
इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने जब इस फिल्म के लिए मुझसे संपर्क किया तो हम सभी को साथ बैठकर बातचीत करने में कुछ वक्त लगा। जब मैंने नैरेशन सुना तो दंग रह गई। मुझे रियलाइज हुआ कि पति-पत्नी के रिश्ते बड़े नाजुक, जटिल और प्यारे होते हैं। खासकर शहरी जीवन में उनमें आपसी मनमुटाव की कई वजहें होती हैं। पति-पत्नी के रिश्तों में टकराव और दिल मिलने की रियालिटी मुझे छू गई। मुझे कहानी और मेरा किरदार भा गया।
प्रतीक गांधी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जब मुझे बताया गया कि प्रतीक गांधी मेरे को-एक्टर होंगे तो मुझे बेहद खुशी हुई। मैंने उनकी फिल्म ‘स्कैम १९९२’ देखी थी। मुझे उनका स्वाभाविक अभिनय अच्छी तरह याद था। एक संजीदा एक्टर के साथ मुझे इस फिल्म में काम करना है, यह जानकर मुझे बेहद खुशी हुई। अभिनय के क्षेत्र में जूनियर-सीनियर मैं इसलिए नहीं मानती क्योंकि आपने भले ही १० वर्षों तक काम किया हो, लेकिन उन १० वर्षों में आपने अभिनय की किन बुलंदियों को छुआ यह आपकी परफॉर्मेंस से पता चलता है। प्रतीक ने अपने २० वर्षों के करियर में कम से कम १५ वर्ष थिएटर को दिए हैं। थिएटर का अनुभव बहुत मायने रखता है। उनके साथ फिल्म में काम करने का अनुभव बहुत मजेदार और यादगार रहा।
पति-पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए?
इसे बता पाना बहुत मुश्किल है। हर दंपति की सोच और राय अलग-अलग होती है। कभी-कभी यह रिश्ता शत-प्रतिशत सही नहीं होता। प्राय: देखा गया है कि जिन जोड़ों में मनमुटाव या दूरियां होती हैं वे भी लोगों के सामने नॉर्मल बर्ताव करते हैं।
आजकल ‘ओपन रिलेशनशिप’ के बारे में कहा और सुना जा रहा है। इस ‘अर्बन कॉन्सेप्ट’ के बारे में आपका क्या कहना है?
मैं इस पर हर्गिज विश्वास नहीं करती। मैं आधुनिक सोच वाली महिला हूं, लेकिन नैतिकता के मूल्यों पर वैवाहिक रिश्ते खासकर हमारे देश में बहुत मायने रखते हैं। मैं अपने पति या पार्टनर को वैâसे दूसरे रिश्ते में देखना पसंद कर सकती हूं? यह संभव नहीं मेरे लिए।
आपकी कोई ऐसी बात जिसके बारे में लोग अधिकतर नहीं जानते?
ऐसी बातें तो करीबी ही जानते हैं। मैं अपने बालों को कई बार नहीं सुलझाती क्योंकि मेरे बाल उलझते बहुत हैं। मैं बाल तब सुलझाती हूं जब मेरी जान पर बन आती है। यह बात सिर्फ मेरा परिवार जानता है।
आपका अपना पसंदीदा किरदार कौन सा है?
मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे काफी सशक्त किरदार मिले, जिन्हें मैंने अपनी योग्यता के अनुसार निभाया। फिल्म ‘इश्किया’ में मेरा किरदार मुझे अच्छा लगा। अपनी जालिम खूबसूरती का इस्तेमाल वो दो मर्दों को किस तरह उल्लू बनाने में करती है यह फिल्म के आखिर तक समझ में नहीं आता। फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ में मेरा किरदार अभिनेत्री सिल्क स्मिता पर आधारित था। एक ऐसी अभिनेत्री जिसने जिंदगी अपनी शर्तों पर जी, जिंदगी को गम नहीं खुशी माना। असलियत में एक नारी के कई रूप हमें देखने को मिलते हैं। फिल्म ‘कहानी’ में मेरा किरदार कितना साहसी था। इन सभी किरदारों ने मुझे जीवन में एक नई ऊंचाई दी। जीवन हमेशा हमारे पक्ष में नहीं होता, लेकिन संघर्ष करते हुए जिंदगी पर विजय वैâसे पाई जा सकती है फिल्मों के ये किरदार मुझे सिखा गए।
क्या कभी सिद्धार्थ रॉय कपूर ने आपको किसी किरदार के लिए कोई टिप्स दिए?
मैं उन्हें अपनी फिल्मों के बारे में अवगत कराती हूं, लेकिन अभी तक तो ऐसा कभी नहीं हुआ। वैसे उनके लिए यह मुश्किल टास्क है।
वैवाहिक रिश्तों को बचाए रखने के लिए आप क्या कहेंगी?
रिश्तों को हर हाल में बचाए रखने के लिए उन्हें मजबूरी में ढोते रहना भी गलत होगा। जितना हो सके वैवाहिक रिश्ते को बहुत ही सहज रखें। मुझे लगता है रिश्तों में ईगो न हो। कई बार ईगो का टकराव रिश्तों को बिगाड़ देता है। लिव इन मोमेंट को मैं मानती हूं। हर पल लुत्फ उठाना सिर्फ वैवाहिक ही नहीं, हर रिश्ते में जरूरी है।