मनमोहन सिंह
एजेल एक्रिन के घर पहुंचा एन्ना से मिलने। एन्ना की हालत देख तुमसे बहुत बुरा लगा। अस्पताल में आशाद की हालत वह देख ही चुका था। उसने एक्रिन से शरबत लाने कहा।
कुछ वक्त गुजर रही होगा एक्रिन तीन गिलास शरबत ले आई।
उसने अपने हाथों से शरबत का गिलास एन्ना के होठों पर लगाया और कहां इसे पी लो थोड़ी राहत मिलेगी, शरीर को ताकत मिलेगी उसने कहा। एन्ना इस शरबत से मुझे एक छोटी-सी कहानी याद आई है मैं तुम्हें सुनाता हूं, सुनो।
एक टीचर पढ़ा रहे थे। क्लास के सभी स्टूडेंट्स बड़े ध्यान से उनको सुन रहे थे। उनके पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे। उनकी नजर एक बच्चे पर पड़ी। वह चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था।
टीचर ने कई दिनों तक गौर किया हमेशा गुमसुम भी बैठा रहता था। उन्होंने उस बच्चे को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, ‘तुम हर समय उदास, अकेले और चुपचाप बैठे रहते हो। पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं देते। क्या बात है? कुछ परेशानी है क्या?’
‘वोष्ठ..’ बच्चे ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा, ‘ष्ठ. मेरी बीती जिंदगी में कुछ ऐसे वाकयात हुए हैं, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूं समझ नहीं आता क्या करूं?’
उस भले टीचर ने उस बच्चे को शाम को अपने घर पर बुलवाया। शाम को बच्चा टीचर के घर पहुंचा। टीचर ने उसे भीतर बुलाकर बैठाया और खुद किचन में जाकर शरबत बनाने लगा। उन्होंने जानबूझकर शरबत में ज्यादा नमक डाला और बाहर आकर ग्लास बच्चे को थमा दिया।
बच्चे ने जैसे ही एक घूंट लिया, अधिक नमक के स्वाद के कारण उसका मुंह अजीब-सा बन गया। यह देख टीचर ने पूछा, ‘क्या हुआ? स्वाद ठीक नहीं है?’
‘नहीं, ऐसी बात नहीं है…बस नमक थोड़ा ज्यादा है।’ बच्चा बोला।
‘अरे, अब तो ये बेकार हो गया। मैं इसे फेंक देता हूं।’ टीचर ने बच्चे से गिलास लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया।’ नहीं, बस नमक ही तो ज्यादा है…थोड़ी चीनी और मिलाएंगे तो स्वाद ठीक हो जाएगा’ बच्चे ने मना करते हुए कहा।
बच्चे की बात सुनकर टीचर ने संजीदा होते हुए कहा, ‘सही कहा तुमने। अब इसे समझ भी जाओ। ये शरबत तुम्हारी जिंदगी है। इसमें घुला ज्यादा नमक तुम्हारी बीती जिंदगी के बुरे तजुर्बे हैं। जैसे नमक को शरबत से बाहर नहीं निकाल सकते, वैसे ही उन बुरे तजुर्बों को भी जिंदगी से अलग नहीं कर सकते। वे बुरे तजुर्बे भी जिंदगी का हिस्सा ही हैं, लेकिन जिस तरह हम चीनी घोलकर शरबत का स्वाद बदल सकते हैं… वैसे ही बुरे तजुर्बों को भूलने के लिए जिंदगी में मिठास यानी चीनी तो घोलनी पड़ेगी। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम अब अपने जिंदगी में मिठास घोलो, ताकि नमक धीरे-धीरे कम हो जाए।’
बच्चा सबकुछ समझ गया और उसने अपनी जिंदगी का रंग बदल दिया। ‘तुम्हें पता है वह बच्चा कौन है?’ एजेल ने एन्ना की ओर देखते हुए पूछा। वह सवाल भरी नजरों से उसकी तरफ देखने लगी।
‘अरे ऐसे क्या देख रही हो सोच रही हो? वो बच्चा तुम्हारे सामने ही बैठा है।’ एक्रिन ने एन्ना के सिर पर प्यार से चपत लगाते हुए कहा।
‘आप हो?’ ‘मैंने कभी महसूस नहीं किया कि आपकी जिंदगी कभी गमगीन नहीं होगी…आप तो काफी जिंदादिल इंसान हैं।’
‘यही जिंदादिली मैं फिर से तुममें देखना चाहता हूं एन्ना’
‘अब तो तुम समझ गई हो है न एजेल ने तुम्हें वह कहानी क्यों सुनाई? लेकिन इसमें करेक्शन करना चाहती हूं यह बात कि वह बच्चा स्कूल में नहीं था, बल्कि कॉलेज में था! ‘एक्रेन ने हंसते हुए कहा। ‘मुझे बताइए ना क्या हुआ था किसी हादसे ने आपको तोड़कर रख दिया था…’ एन्ना ने फिर कहा।
‘किसी और दिन एन्ना जब तुम एकदम हंसती मुस्कुराती रहोगी’ ‘नहीं आज ही सुनना होगा’
‘तो फिर एक कंडीशन है’, ‘बोलिए…’ ‘तुम पहले प्रâेश हो जाओ हमारे साथ ब्रेकफास्ट नहीं… नहीं अब तो लंच का समय हो गया है ब्रंच करो’ ‘ठीक है वह उठ खड़ी हुई’
‘अच्छा इतना तो बताओ यह कब की बात है?’
‘इतना तो बता दूंगा… तकरीबन २०११ की है।’
‘सिविल वार की…?’ ‘हां ‘ अल हर्ब अल अहलिया अस सीरिया’ बोलते हैं इसे।’ एजेल ने जवाब दिया। (क्रमश:)