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खिसकता जैन समुदाय का वोट बैंक …`मिच्छामि दुक्कड़म्, भाजपा भुगतम्’! …विलेपार्ले में मंदिर तोड़ने की घटना का राजनीतिक असर

रामदिनेश यादव / मुंबई
महानगर मुंबई के विलेपार्ले में ९० साल पुराने दिगंबर जैन मंदिर को बीएमसी ने तोड़ दिया। बीएमसी की इस कार्रवाई के बाद से ही जैन समाज में गुस्सा है। देशभर में जैन समाज के लोग बीएमसी की इस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस घटना के बाद जैन समुदाय में भाजपा के प्रति आक्रोश पैâल गया है। अब तक भाजपा दावा करती थी कि जैन समुदाय भाजपा का अपना वोट बैंक है, लेकिन विलेपार्ले की घटना के बाद खफा जैन समुदाय भाजपा से दूरी बनाने को मजबूर हो गया है। भाजपा से जैन समुदया का वोट बैंक खिसक जाएगा, यह आभास भाजपा को भी हो गया है। ऐसा दावा राजनीतिज्ञों को ओर से किया गया है। जैन समुदाय मिच्छामि दुक्कड़म् की भूमिका में आ सकता है तो भाजपा भुगतम् की स्थिति में है। नतीजन भाजपा के माथे पर लकीर आना स्वाभाविक है। भाजपा नेता मंगल प्रभात लोढा और स्थानीय विधायक पराग अलवानी को भी इसका एहसास हो गया है, तभी तो वे सरकार के खिलाफ जाकर आंदोलन में उतरे और भाजपा के डैमेज को कंट्रोल करने का प्रयास किया।

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है। डबल इंजन की सरकार होने के बाद मुंबई मनपा पर सरकार का प्रशासक ऐसे में जैन मुनियों पर आफत क्यों आई, यह सवाल उठने लगा है। भाजपा की सरकार होने के बावजूद जैन मंदिर पर तोड़क कार्रवाई की गई। आखिर यह सब किसके दबाव में किया गया? क्या सरकार और सरकार के अधिकारियों को यह जानकारी नहीं थी, जबकि मंदिर को बचाने के लिए सरकार को पत्र और कोर्ट में सुनवाई शुरू थी।

इस घटना को लेकर जैन समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी की शुरूआत हो गई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ज्यादातर जैन समाज के लोग मतदान के वक्त एक बार जरूर विचार करेंगे, जैन समुदाय के किशोर खाबिया ने बताया कि यह बेहद ही दुर्भग्यपूर्ण है कि कोर्ट में मामला होने के बाद भी मनपा के अधिकारी मंदिर तोड़ देते हैं। हिंदुस्थान में हिंदुओं के धर्मस्थल पर संकट आने की स्थिति नहीं होनी चाहिए। शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पक्ष के पदाधिकारी सुनील खाबिया ने बताया कि पिछली जनगणना २०११ में जैन समुदाय की आबादी १.२५ प्रतिशत थी। विधानसभा में चुने गए सदस्यों में जैन समुदाय के सात सदस्य हैं, जिसका हिस्सा २.४ प्रतिशत है, जो कि आबादी के अनुपात का दोगुना है। लेकिन मंदिर तोड़े जाने की घटना के बाद जैन समुदाय भाजपा की शासन व्यवस्था से काफी खफा बताया जा रहा है।

बता दें कि महाराष्ट्र में २०२४ में हुए विधानसभा चुनाव में जैन समाज के ७ विधायक चुनकर आए थे। उस समय इन विधायकों का पूरे समाज ने स्वागत और सम्मान किया था। तीन विधायक मुंबई महानगर क्षेत्र से हैं, जिनमें मालाबार हिल से मंगल प्रभात लोढा, घाटकोपर-पूर्व से पराग शाह और मीरा-भायंदर से नरेंद्र मेहता चुने गए थे। इन ७ विधायकों में से ६ विधायक बीजेपी से, वहीं एक निर्दलीय चुनकर आया था। इन विधायकों में से प्रभात लोढा खुलकर इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, जबकि बाकी विधायकों ने सरकार के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं दिखाई है।

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