सूखने लगे कुएं, जवाब देने लगी हैं नदियां
सामना संवाददाता / मुंबई
पालघर जिले के मोखाड़ा, जव्हार और वाडा तहसील के लोग एक-एक घूंट पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गर्मी के बढ़ते ही यहां के कुएं सूखने लगे हैं। नदियां जवाब देने लगी हैं और टैंकरों की कतारें लंबी होती जा रही हैं। फरवरी-मार्च में ही जल संकट इतना गहरा गया है तो आने वाले महीनों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
पानी ढोने में बीत रहा है बचपन
इन गांवों में बचपन खेलता नहीं बल्कि पानी ढोता है। छोटे-छोटे बच्चे हाथ में घड़े और कनस्तर लेकर कई किलोमीटर की तपती राह पर चलने को मजबूर हैं। जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए, वे अब पानी की तलाश में भटक रहे हैं। बुजुर्ग महिलाएं कमर झुकाकर पानी भर रही हैं और कई घरों में खाना पकाने तक के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।
बांध व नदियां हैं, फिर भी गांव प्यासा
मोखाड़ा और जव्हार तहसील में नदियां हैं, बांध बने हैं, लेकिन पानी गांवों तक नहीं पहुंचता है। ग्रामीणों का कहना है कि महानगरों की प्यास बुझाने के लिए यहां का पानी बाहर भेजा जाता है, लेकिन वे खुद पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। मोखाड़ा तहसील के धास, नाहेरा, हट्टीचा पाड़ा, केवनाले, हेक्वाडी, वाडा तहसील के ओगढ़ा, सागमाल, घोडसाखरे और जव्हार तहसील के रायतले, जूनी विहीर समेत २० से ज्यादा गांव इस जल संकट से जूझ रहे हैं।
कागजों तक ही सीमित हैं जलापूर्ति की योजनाएं
हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए ‘जल जीवन मिशन’ योजना चलाई गई थी, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक सीमित दिख रही है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद हालात जस के तस हैं और गांवों की प्यास अब भी टैंकरों के भरोसे पर टिकी हुई है।