सामना संवाददाता / मुंबई
वक्फ अमेंडमेंट बिल पास होने के बाद से देश भर में मुस्लिम संगठन और मुस्लिम नेताओं ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका डाल रहे हैं। इसी क्रम में मालाड के समाजसेवी जमील मर्चेंट ने भी इस बिल की खिलाफत करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
जमील मर्चेंट की याचिका से पहले अब तक लगभग दो दर्जन से अधिक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी है। एआईएमएएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव, तमिलनाडु की डीएमके पार्टी, आप के विधायक अमानतुल्लाह, सहित दर्जन भर संगठन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपनी याचिका दायर कर रखी है।
जमील मर्चेंट की याचिका भी उन्हीं बातों पर कोर्ट का ध्यान खींचना चाहती है, जिसमें बताया गया है की ये बिल मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए लाया गया है। उनके अधिकारों में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार इस बिल को लेकर आई है। गत दिनों इस बिल को राज्यसभा और लोकसभा में पास कर दिया गया, जिसे राष्ट्रपति के मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को मंजूरी मिल गई।
याचिका में बताया गया है की संशोधन भेदभावपूर्ण है और आर्टिकल 25 का उल्लंघन करता है। इसके जरिए धार्मिक मामले में छेड़छाड़ की गई हैं और सेंट्रल वक्फ काउंसिलिंग वक्फ की मॉनिटरिंग करती हैं। उसमें मुस्लिम व्यक्ति रखे जाते हैं पर इस एक्ट के जरिए इसे भी प्रभावित किया गया है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, किशनगंज से सांसद जावेद जो की वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा करने वाले समिति के सदस्य भी ने इस बिल के पास होने से पहले ही अपनी याचिका कोर्ट में डाल रखी थी।
याचिकाकर्ता जमील मर्चेंट के वकील एजाज मकबूल के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300 अ का उल्लंघन बताते हुए है कहा कि ये संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई एक साथ ही करेगी. फिलहाल मुसलमानों की तरफ से जिस तरह का विरोध देखने को मिल रहा है. इसमें ज्यादातर वो लोग हैं, जो वर्षों से वक्फ बोर्ड की मनमानी का फायदा ले रहे थे। पर इस एबेडमेंट बिल के पास होने से कही न कही उन्हें खतरा महसूस होने लगा है. साथ ही राजनीति फायदे के लिए भी कई राजनैतिक दल भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं।