उद्योग, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, धार्मिक व अन्य पर्यटन में फिर खाली हाथ रहा जम्मू
सामना संवाददाता / जम्मू
हाल ही में पेश बजट में जम्मू संभाग की बेहतरी व अर्थव्यवस्था को गति देने के तमाम वादे एक बार फिर हवा-हवाई साबित हुए हैं। लद्दाख की तरह जम्मू संभाग को भी अपने हकों के लिए अलग राज्य की मांग पर मजबूर किया जा रहा है, ऐसा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जम्मू-कश्मीर इकाईप्रमुख मनीष साहनी का कहना है।
मनीष साहनी ने कहा कि जम्मू संभाग के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का नजरिया जस का तस है। हाल ही में उमर सरकार द्वारा पेश बजट में जम्मू के पर्यटन, धार्मिक स्थलों के विकास व अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए किसी विशेष पैकेज की घोषणा नहीं की गई। वहीं किसानों की लाइफलाइन रणबीर कनाल व डोगरा विरासत स्थलों की देख-रेख पर भी कोई विशेष राशि की घोषणा नहीं हुई। डोगरी भाषा व सांस्कृतिक प्रोत्साहन के लिए भी सरकार समेत भाजपा विधायक खामोशी ओ़ढ़े रहे।
मंदिरों के शहर जम्मू में शराबबंदी पर हो-हल्ला भी विक्रेताओं पर दबाव की राजनीति से आगे नहीं बढ़ा। साहनी ने कहा कि समय आ चुका है कि जम्मू संभाग अपने हकों के लिए आवाज बुलंद करे। साहनी ने कहा कि बजट सत्र के संपन्न होते ही शिवसेना व सैनिक समाज पार्टी द्वारा संयुक्त रूप से `जम्मू को दो अपना हक’ अभियान के तहत जम्मू को स्थाई राजधानी बनाने व अलग राज्य के दर्जे की मांग पर जनभावना को जानने का प्रयास किया जाएगा। साहनी ने कहा कि अगर उमर सरकार जम्मू को कश्मीर के साथ बनाए रखना चाहती है तो जम्मू को स्थायी राजधानी घोषित किया जाए, अन्यथा लेह-लद्दाख की तरह जम्मू संभाग को अपने हकों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।