डॉ. बालकृष्ण मिश्र
गुरुजी, मुझे संतान में पुत्र की प्राप्ति में अड़चन क्यों आ रही है?
– पंकज कुमार मिश्रा
(जन्म- २४ मार्च १९८९, समय- दिन में १२.१२, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
पंकज जी, आपका जन्म शुक्रवार के दिन चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि तुला बन रही है। आपकी कुंडली के आधार पर अगर हम बात करें तो मिथुन लग्न में आपका जन्म हुआ है और संतान का विचार पंचम भाव से किया जाता है। पंचम भाव का स्वामी शुक्र है और शुक्र आपकी कुंडली में दशम भाव पर बैठा हुआ है। सूर्य के साथ पंचम भाव पर चंद्रमा बैठा हुआ है। चंद्रमा स्त्री संज्ञक ग्रह माना जाता है इसलिए आपकी कुंडली में कन्या का अधिक योग बना हुआ है, लेकिन आपको संतान में पुत्र की प्राप्ति निश्चित होगी। आपकी कुंडली में भाग्य ग्रहण दोष एवं वासुकी नामक कालसर्प योग भी बना हुआ है। सर्प-शाप योग के कारण बाधा रही है इसलिए आपको कालसर्प योग की विशेष वैदिक पूजा करवानी चाहिए।
गुरुजी, विवाह को तीन-चार वर्ष होने के बावजूद अभी तक मुझे संतान प्राप्ति नहीं हुई है, उपाय बताएं? – किरन शुक्ला
(जन्म- १० मार्च १९९७, समय- प्रात: ८.५९, स्थान- मुंबई)
किरन जी, आपका जन्म सोमवार के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मीन बन रही है। संतान के बारे में अगर हम देखें तो मेष लग्न में आपका जन्म हुआ है और संतान का विचार पंचम भाव से किया जाता है। पंचम भाव का स्वामी आपकी कुंडली में बुध, शुक्र एवं सूर्य ग्रह के साथ बैठा हुआ है। लाभ भाव पर आपकी कुंडली में चंद्रमा के साथ केतु भी बैठा हुआ है। १२वें भाव पर इस कारण आपकी कुंडली में चंद्रमा के साथ केतु बैठा हुआ है। इस वजह से चंद्रग्रहण योग बन रहा है और चंद्रमा के साथ शनि बैठा हुआ है इस कारण विस योग और शेष नामक कालसर्प योग भी बन रहा है। नागपंचमी के दिन व्रत के साथ ही प्रदोष व्रत भी करें और शेष नामक कालसर्प योग की वैदिक पूजा करवाएं।
गुरुजी, मेरे विवाह में विलंब क्यों हो रहा है, बताएं?
– सर्वेश तिवारी
(जन्म- १० मार्च १९९७, समय- प्रात: ८.४४, स्थान- मुंबई)
सर्वेश जी, आपका जन्म सोमवार के दिन उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मीन बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम बात करें तो मेष लग्न में आपका जन्म हुआ है। आपकी कुंडली मांगलिक नहीं है, लेकिन १२वें भाव पर चंद्रमा के साथ शनि और केतु के बैठने के कारण शेषनाग नामक कालसर्प योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव के कारण अनुकूल जीवनसाथी का चयन करने में किसी न किसी प्रकार की असुविधा आ रही है। आपकी कुंडली मांगलिक नहीं है, लेकिन हम गहराई में देखें तो इस समय केतु की महादशा चल रही है। केतु की महादशा में अब चंद्रमा का अंतर चल रहा है। केतु और चंद्रमा एक साथ बैठ करके कालसर्प योग बनाए हैं। इस कारण आपका विवाह २८ से ३० वर्ष की उम्र तक होगा। वैदिक विधि से आप कालसर्प योग की पूजा करवाएं।
गुरुजी, मुझे संतान में पुत्र प्राप्ति होगी या नहीं?
– ज्योति मिश्रा
(जन्म- १३ दिसंबर १९९१, समय- रात्रि १.३०, स्थान- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)
ज्योति जी, आपका जन्म शुक्रवार के दिन शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ है और आपकी राशि कुंभ बन रही है। आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी चल रही है। यदि संतान की बात करें तो कन्या लग्न में आपका जन्म हुआ है और संतान भाव का स्वामी शनि, पंचम भाव पर बैठा हुआ है। शनि के लिए ज्योतिष में यह कहा जाता है कि शनि जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की वृद्धि करता है, तो निश्चित ही आपको संतान के रूप में पुत्र की प्राप्ति होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन इसके लिए आपको उपाय करना होगा क्योंकि आपकी कुंडली घातक नामक कालसर्प योग बना हुआ है। आपको कालसर्प योग की पूजा वैदिक विधि से करवाना चाहिए। आपको संतान की प्राप्ति निश्चित होगी। शिवजी की पूजा के साथ प्रदोष व्रत करें।
गुरुजी, मेरी कुंडली में संतान का योग है या नहीं?
– नितेश शुक्ला
(जन्म- २५ अक्टूबर १९९४, समय- रात्रि ८.४५, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
नितेश जी, आपका जन्म मंगलवार के दिन हुआ है। चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में आपकी राशि मिथुन बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम विचार करें तो मिथुन लग्न में आपका जन्म हुआ है। संतान के बारे में अगर विचार करें तो संतान भाव पर आपकी कुंडली में नीच राशि का सूर्य, शुक्र, देवगुरु बृहस्पति और राहु के साथ बैठा हुआ है। संतान भाव पर चार ग्रह बैठे हुए हैं। संतान भाव का स्वामी भी उसी स्थान पर बैठा है इसलिए आपको निश्चित ही संतान प्राप्ति होगी इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन विलंब हो रहा है क्योंकि आपकी कुंडली में विषधर नामक कालसर्प योग बना हुआ है। इस कारण से संतान में रुकावटें आ रही हैं इसलिए विषधर नामक कालसर्प योग की पूजा करवाएं।
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