डॉ. बालकृष्ण मिश्र
गुरुजी, मेरी पहली शादी टूट गई है। मेरी दूसरी शादी कब तक होगी और दूसरी शादी में मुझे वैवाहिक सुख मिलेगा या नहीं?
– शांभवी खरे
(जन्म- ४ अक्टूबर १९९२, समय- रात्रि ११.४५, स्थान- सांताक्रुज, मुंबई)
शांभवी जी, आपका जन्म रविवार के दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मकर बन रही है। यदि लग्न के आधार पर हम देखें तो मिथुन लग्न में आपका जन्म हुआ है और लग्न में ही मंगल ग्रह के साथ केतु बैठा हुआ है। अष्टम भाव पर चंद्रमा के साथ शनि के बैठने से आपकी कुंडली मांगलिक है और आपकी कुंडली में अनंत नामक कालसर्प योग बना हुआ है। इस कालसर्प योग के कारण ही पहले विवाह में पति के साथ इगो प्रॉब्लम, वैचारिक मतभेद आदि के कारण आपका वैवाहिक जीवन ठीक नहीं था। अत: विवाह तय होने से पहले आपको कालसर्प योग की पूजा जरूर करवाना चाहिए क्योंकि महादशा के आधार पर हम देखें तो इस समय राहु की महादशा में केतु का अंतर समाप्त हो गया है। जल्द ही कोई अच्छा रिश्ता मिलेगा और आपका वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाएगा।
गुरुजी, मेरा करियर कैसा होगा और जीवन में विकास का मार्ग कैसे खुलेगा?
– सुकेश तिवारी
(जन्म- १३ अक्टूबर १९९६, समय- रात्रि ३.५५, स्थान- अंधेरी, मुंबई)
सुकेश जी, आपका जन्म रविवार के दिन चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में होने से आपकी राशि तुला बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम देखें तो सिंह लग्न में आपका जन्म हुआ है और सिंह लग्न का स्वामी सूर्य आपकी कुंडली में द्वितीय भाव पर राहु के साथ बैठा है। राहु के साथ यदि सूर्य बैठता है तो ग्रहण योग बना देता है और यदि बुध बैठता है तो जड़ नामक योग बना देता है। आपकी कुंडली में कुलिक नामक कालसर्प योग भी बन रहा है। इस कालसर्प योग के कारण चिड़चिड़ापन, परिश्रम करने के बावजूद फल न मिलना, मन उदास रहना जैसी तमाम असुविधाएं होती हैं। आपकी कुंडली को अगर हम देखें तो भाग्य भाव का स्वामी मंगल नीच राशि का हो करके १२वें भाव पर बैठा है और १२वें भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण दृष्टि से पराक्रम भाव को देख रहा है। आप अपने किसी भी कार्य को करने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं तो सफलता निश्चित मिल जाती है, इसमें कोई संदेह नहीं, लेकिन कुलिक नामक कालसर्प योग की वैदिक पूजा आपको करवानी चाहिए। यदि महादशा के आधार पर हम देखें तो गुरु की महादशा में बुध का अंतर चल रहा है।
गुरुजी, मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है, उपाय बताएं?
– मीनाक्षी श्रीवास्तव
(जन्म- १९ मई १९९१, समय- ५.१५ बजे, स्थान- साकीनाका, मुंबई)
मीनाक्षी जी, आपका जन्म पुष्य नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि कर्क बन रही है। अगर हम आपके विवाह को देखें तो वृषभ लग्न में आपका जन्म हुआ है और आपकी राशि पर शनि की ढैया का भी प्रभाव चल रहा है। वृषभ लग्न में ही सूर्य बैठा हुआ है, इस कारण जीवनसाथी से कभी-कभी वैचारिक मतभेद बन जाते हैं और वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है। वर्तमान समय में भी शनि की ढैया चल रही है। अत: आपको पहले सूर्य का उपाय करना चाहिए। सूर्य का उपाय करने से आपको वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए प्रतिदिन आपको सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनना चाहिए।
गुरुजी, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, उपाय बताएं?
– अनुराग गोस्वामी
(जन्म- ११ सितंबर २०१२, समय- दोपहर ३.५७, स्थान- साकीनाका, मुंबई)
अनुराग जी, आपका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मिथुन बन रही है। यदि हम आपके स्वास्थ्य के बारे में देखें तो धनु लग्न में आपका जन्म हुआ है और धनु लग्न का स्वामी बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे भाव पर बैठा है। यदि लग्न भाव का स्वामी छठे भाव पर बैठता है तो निश्चित स्वास्थ्य में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत होती है। आपकी कुंडली के आधार पर देखें तो शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। इसलिए आपको देवगुरु बृहस्पति का उपाय करना चाहिए। यदि उपाय करते हैं तो आपको बहुत अच्छा लाभ मिलने लगेगा।
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