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जीवन दर्पण : विवाह की अड़चनें होंगी दूर वैदिक विधि से कराएं पूजा

डाॅ. बालकृष्ण मिश्र

गुरुजी मेरे विवाह में क्या अड़चनें आ रही हैं? क्यों अनुकूल जीवनसाथी मिलने में परेशानी आ रही है?
-सचिन राजू तिवारी
(जन्म ७ फरवरी २००१ रात्रि १२:४५ जौनपुर उत्तर प्रदेश)
सचिन जी, आपका जन्म बुधवार को हुआ है और राशि आपकी कर्क है। कर्क राशि पर इस समय शनि की ढैया भी चल रही है, जो मार्च २०२५ में समाप्त हो जाएगी। मैरिज की दृष्टि से देखें तो तुला लग्न में आपका जन्म हुआ है और तुला लग्न का स्वामी शुक्र लग्नेश भी है और अष्टमेश भी है। लग्नेश और अष्टमेश छठे भाव पर बैठा है। लग्नेश और अष्टमेश जब छठे भाव पर बैठता है,तो बार-बार विवाह तय होकर भी कोई न कोई की अड़चन आ जाती है और विशेष बात यह है कि चौथे स्थान पर जहां से सुख का विचार किया जाता है, उस स्थान पर सूर्य भी बैठा हुआ है। कुंडली आपकी मांगलिक नहीं है, लेकिन चौथे स्थान पर बैठा हुआ सूर्य और आठवें स्थान पर बैठा हुआ शनि एवं बृहस्पति विवाह में बाधा डाल रहे हैं, इसके लिए आपको वैदिक विधि से पूजा करनी चाहिए। वैदिक विधि से पूजा कराएंगे तो वैवाहिक जीवन में आने वाली अड़चनें दूर हो जाएंगी। यदि महादशा के आधार पर हम देखें तो शादी आपकी कब तक होगी तो शादी का समय चल रहा है, क्योंकि बुध की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है। आपको वैदिक विधि से पूजा करनी चाहिए। जीवन की गहराई को जानने के लिए आपको संपूर्ण जीवन दर्पण भी बनवाना चाहिए।

गुरुजी, मेरा बार-बार एक्सीडेंट हो जाता है। क्या कारण है? कृपया मुझे बताएं और उपाय भी बताएं।
-मंगेश ब्रह्मदीन मिश्रा
(जन्म २३ दिसंबर १९८८ दिन में १२:१० प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश)
मंगेश जी, आपका जन्म शुक्रवार को हुआ है। आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम चरण में राशि आपकी मिथुन बन रही है, अगर लग्न के आधार पर हम देखें तो मीन लग्न में आपका जन्म हुआ है। आपकी राशि से इस समय गोचर में १२ में भाव पर देवगुरू बृहस्पति बैठे हुए हैं और १२ में भाव के स्वामी शनि देव हैं और शनि की ही महादशा चल रही है। आपकी कुंडली में शनि की महादशा में बुध का अंतर चल रहा है। बुद्ध आपकी कुंडलीr में सप्तमेश भी है और मार्केश भी है। इस कारण से बार-बार आकस्मिक दुर्घटना हो रही है। इसके लिए आपको वैदिक विधि से पूजन करना आवश्यक होगा, नहीं तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है । कुंडली आपकी बहुत अच्छी है। वैदिक विधि से पूजा करा लेंगे तो जीवन में निखार आ जाएगा।

गुरुजी, मेरी राशि क्या है ? क्या मेरी कुंडली में कालसर्प का योग बना हुआ है कृपया उपाय बताएं ?
-संतोष सागवेकर
(जन्म २१ जून १९८८ रात्रि १:४५ रत्नागिरी महाराष्ट्र )
संतोष जीr, आपका जन्म मंगलवार को हुआ है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के द्वितीय में राशि आपकी सिंह बन रही है। यदि लग्न के आधार पर हम आपकी कुंडली को देखें तो मीन लग्न में आपका जन्म हुआ है। लग्न का स्वामी आपकी कुंडली में बृहस्पति है, जो पराक्रम भाव पर बैठा है और पराक्रम भाव पर बैठकर भाग्य के भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। इसलिए भाग्यशाली तो हैं, लेकिन मेहनत बहुत करते हैं। आपकी कुंडली में १२ वें स्थान पर मंगल ग्रह के साथ में राहु बैठकर अंगारक योग भी बना रहा है और केतु ग्रह के साथ चंद्रमा छठे भाव पर बैठकर आपकी कुंडली में महापद्म कालसर्प योग भी बना रहा है। इस कारण आपका व्यर्थ में खर्च एवं पैसे का न बचना तथा मन में बेचैनी भी बनी रहती है। आपको वैदिक विधि से महापद्म नामक कालसर्प योग की पूजा करानी चाहिए और विस्तार से जानने के लिए आपको संपूर्ण जीवन दर्पण भी बनवाना चाहिए।

‘जीवन दर्पण’ कॉलम के तहत यदि आप अपने बारे में कुछ जानना चाहते हैं तो अपना नाम, जन्म तारीख, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल व्हाट्सऐप नंबर ९२२२०४१००१ पर लिख भेजें।

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