अनिल मिश्र / रांची
आदिवासी समुदाय के पूर्वजों की तपस्या, त्याग और बलिदान का परिणाम है कि आदिवासियों को आज एक अलग पहचान मिल रही है। हम उन शहीदों को सम्मान एवं नमन करते हैं, जिनकी बदौलत देश के विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज बुलंद करने की हम सभी को ताकत मिली है। हमें आदिवासी होने का फक्र है। हमें अपने शहीदों और आंदोलनकारियों पर गर्व है, वे आज ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1837 में हुए विद्रोह के महानायकों की याद एवं सम्मान में पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो प्रखंड स्थित सेरेंगसिया में आयोजित शहीद दिवस पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही। इस अवसर पर उन्होंने अमर वीर शहीदों को नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित भी किया। झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश की आजादी की लड़ाई शुरू भी नहीं हुई थी। उस दौरान हर लिहाज से ताकतवर अंग्रेजी फौज के खिलाफ आदिवासियों ने संघर्ष करते हुए अपना लोहा मनवाया था। देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने संबोधन के दौरान इस आंदोलन में भाग लेने वाले के प्रति कई बार भावुक भी हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि आज भी सामंती ताकतों के खिलाफ आदिवासियों का संघर्ष जारी है। हम अपने आदिवासियों से आग्रह करते हैं कि वे अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा-लिखा कर उनका भविष्य बनाएं। आदिवासियों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड वीरों और शहीदों की रही है। इस राज्य में इतने बलिदान दिए हैं कि यहां सालों भर शहादत दिवस मनाने की परंपरा है। नए वर्ष की पहली तारीख को खरसावां गोलीकांड के शहीदों को नमन करने के साथ इसकी शुरुआत हो जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों और उनके आश्रितों को सम्मान के साथ हक-अधिकार दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के लिए हमें लंबा संघर्ष करना पड़ा। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में आदिवासियों ने लगभग 40-50 वर्षों तक संघर्ष और लड़ाई लड़ी, तब जाकर झारखंड के रूप में अलग राज्य मिला। लेकिन लगभग 18- 20 वर्षों तक जिन्होंने यहां शासन किया, उन्हें राज्य के विकास तथा आदिवासियों की चिंता नहीं की। लेकिन जिस तरह हमने लड़कर झारखंड लिया, उसी तरह लड़कर हक और अधिकार भी लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के खनिज संसाधनों से देश का खजाना भर रहा है। यहां के खनिज से पूरा देश रोशन हो रहा है। आज भी यह राज्य देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। इसकी वजह अलग राज्य बनने के बाद भी विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। जब से हमारी सरकार है, इस राज्य को आगे ले जाने का प्रयास निरंतर जारी हैl