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दुनिया को यूं हीं नहीं लूट रहे झारखंड के साइबर अपराधी… विषेशज्ञ भी जानकर रह जाएंगे दंग

अनिल मिश्र / रांची

झारखंड साइबर क्राइम की राजधानी बन चुकी है। एक समय था, जब जामताड़ा को साइबर क्रिमिनल्स के कारनामों के लिए जाना जाता था। जामताड़ा के साथ-साथ संताल परगना के कई अन्य जिलों में भी अब साइबर क्रिमिनल्स फैल गए हैं। 20, 30 और 40 साल तक के इन साइबर क्रिमिनल्स की एक्सपर्टीज (विशेषज्ञता) के बारे में जानकर आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे। आप दंग रह जाएंगे। टेक्नोलॉजी का ज्ञान इनको बखूबी है। ये लोग देश-दुनिया में हो रहे तकनीकी बदलाव से पूरी तरह से अपडेट रहते हैं। जामताड़ा पुलिस ने संगठित तरीके से साइबर क्राइम करने वाले एक अत्याधुनिक आपराधिक गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की है, जिससे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
दरअसल, जामताड़ा पुलिस ने कल 6 साइबर क्रिमिनल्स को किया गिरफ्तार था। गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने बताया कि उसमें एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर डेलवप करने वाले विशेषज्ञ भी हैं। ये साइबर क्रिमिनल्स मैलवेयर डेलवप करने के लिए चैट-जीपीटी का इस्तेमाल करते हैं। ये शातिर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी बखूबी और धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस गिरोह का खुलासा करने वाली टीम ने जब इनकी कुंडली खंगाली, तो पता चला कि ये लोग देश भर में 415 से अधिक साइबर क्राइम में लिप्त रहे हैं। इन्होंने 11,34,02,605 रुपए की धोखाधड़ी अब तक की है।
साइबर पुलिस की टीम को 100 से अधिक फर्जी मोबाईल एपीके (एप्लिकेशंस) मिले हैं, जिसका इस्तेमाल लोगों को चूना लगाने या साइबर ठगी करने के लिए किया जाता था। इतना ही नहीं पुलिस को एक फर्जी सेंट्रलाइज्ड पैनल भी मिला है, जिसके जरिए ये अपराधी पीड़ितों के एसएमएस को देख सकते थे। अपराधियों के मोबाइल फोन में पंजाब नेशनल बैंक के 2000 और कैनरा बैंक के 500 खाताधारकों के डाटा मिले हैं। इसका इस्तेमाल भी साइबर क्रिमिनल्स ग्राहकों को लूटने में करते थे।

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