रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू के जिला कलेक्टर रामावतार मीणा के गलत व्यवहार ने प्रदेश स्तर पर राजस्थान सरकार की किरकिरी करवा दी है। पिछले शनिवार को राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह झुंझुनू के सूचना केंद्र में पट्टा वितरित कर रहे थे। कार्यक्रम के पश्चात जिले के बीबासर गांव का एक वरिष्ठ नागरिक रामअवतार डांगी अपनी वृद्धावस्था पेंशन बंद होने की जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा के पास गुहार लगाई। मंत्री के सामने बात आने पर जिला कलेक्टर ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनकर बुजुर्ग राम अवतार डांगी को अभद्र व्यवहार करने के आरोप में पुलिस से पकड़वा दिया। पुलिस ने उसे उपखंड मजिस्ट्रेट हवाई सिंह यादव के सामने पेश किया। उपखंड मजिस्ट्रेट ने उस बुजुर्ग की जमानत लेने से इनकार कर उसे जेल भेज दिया। अगले दिन रविवार को पूरा प्रकरण अखबारों में छपा तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अखबार की कटिंग के साथ उस प्रकरण को अपने x हैंडल पर पोस्ट कर प्रदेश सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया तथा कहा कि पेंशन मांगने पर सरकार के अधिकारी बुजुर्गों को जेल भेज रहे हैं। गहलोत के x पर पोस्ट करने से प्रकरण राज्य स्तर पर चर्चित हो गया। आनन फानन में राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह ने सफाई दी कि मेरे सामने किसी भी नागरिक ने कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया था।
इस पर जिला कलेक्टर की असंवेदनशीलता सबके सामने आ गई। वह कटघरे में खड़ा हो गए। इस पर घबराकर जिला कलेक्टर ने उपखंड मजिस्ट्रेट को बुजुर्ग रामअवतार डांगी की जमानत लेने को कहा। तब उपखंड मजिस्ट्रेट हवाई सिंह यादव ने छुट्टी के दिन रविवार की रात को ही जेल भेजे गए बुजुर्ग रामअवतार डांगी की जमानत मंजूर कर उसे जेल से रिहा करने के आदेश दिए। मगर रामअवतार डांगी ने रात को जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया। तब सोमवार की सुबह जिला प्रशासन ने वाहन की व्यवस्था करवाकर रामअवतार डांगी को जेल से घर तक भिजवाया।
यहां प्रश्न उठता है कि जिस बुजुर्ग की उपखंड मजिस्ट्रेट जमानत ले सकते थे। उस वक्त शनिवार को उसकी जमानत नहीं ली गई और प्रकरण चर्चा में आने के बाद रविवार की रात आनन-फानन में उनकी जमानत की कार्यवाही कर उन्हें रिहा करवाया गया। यदि उपखंड मजिस्ट्रेट शनिवार को ही रामअवतार डांगी की जमानत ले लेते तो इतना बड़ा विवाद ही नहीं बनता।
उक्त घटना से लगता है कि झुंझुनू का जिला प्रशासन आम जनता की समस्याओं को कितने नकारात्मक ढंग से लेता है। सरकार को भी ऐसी नकारात्मक सोच रखने वाले अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग से हटाकर अन्यत्र कहीं लगा देना चाहिए। वैसे भी जिला कलेक्टर रामावतार मीना की पूरी सर्विस में जिला कलेक्टर के रूप में यह पहली पोस्टिंग है तथा इसी वर्ष अगस्त में उनका रिटायरमेंट भी है। अगस्त महीने में वह स्वयं वरिष्ठ नागरिक बन जाएंगे। ऐसे में उनसे अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वह किसी वरिष्ठ नागरिक के साथ ऐसा गलत व्यवहार करें। जिले के सभी विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों को भी ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठानी चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि अधिकांश जनप्रतिनिधि अधिकारियों की चापलूसी करते नजर आते हैं। इसी कारण अधिकारियों की मनमानी बढ़ जाती है। । राज्य के मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत स्वयं झुंझुनू के जिला कलेक्टर रह चुके हैं। उन्हें स्वयं ही इस प्रकरण में प्रसंज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से सरकार की किरकिरी ना होने पाए।