टीमलीज सर्विसेज की रिपोर्ट में खुलासा
सामना संवाददाता / मुंबई
टीमलीज सर्विसेज की हालिया रिपोर्ट ने भारत के कई शहरों में रोजगार और वेतन वृद्धि का विश्लेषण किया है, जहां बंगलुरु, दिल्ली और चेन्नई में सकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है, वहीं मुंबई के लिए स्थिति काफी निराशाजनक दिखई दे रही है। रिपोर्ट के अनुसार, बंगलुरु ने औसतन ९.३ फीसदी वेतन वृद्धि दर्ज की है और वहां औसत मासिक वेतन २९,५०० रुपए पर पहुंच चुका है, जो देश में सबसे अधिक वेतन देने वाला शहर बन गया है, वहीं मुंबई का औसत मासिक वेतन २५,१०० रुपए ही है, जो बंगलुरु, दिल्ली (२७,८०० रुपए) से भी पीछे है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि नौकरी के अवसर और वेतन वृद्धि में मुंबई की रैंकिंग अन्य शहरों के मुकाबले लगातार घट रही है। जहां बंगलुरु और चेन्नई जैसी जगहों पर टेक्नोलॉजी और बिजनेस हब के रूप में उनकी पहचान मजबूत हो रही है, वहीं मुंबई के उद्योगों में वैसी गति नहीं देखी जा रही। रिटेल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और बीएफएसआई क्षेत्रों में मुंबई में वेतन वृद्धि मामूली रही है, जो कई प्रोफेशनल्स को दूसरे शहरों का रुख करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
इसके अतिरिक्त कई उद्योगों में स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों के वेतन में भी बड़ा अंतर नहीं है, जो यहां पेशेवरों के लिए अस्थिर भविष्य का संकेत देता है। कंस्ट्रक्शन, एग्रीकल्चर और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में वेतन वृद्धि धीमी है और यह नौकरियों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़ा करती है।
मुंबई का औसत वेतन अन्य शहरों के मुकाबले काफी नीचे है और यह शहर के नौकरी बाजार में नई चुनौतियों को रेखांकित करता है। तकनीकी और व्यावसायिक अवसरों की कमी के कारण यहां के प्रोफेशनल्स के लिए बाहर के विकल्पों पर विचार करना जरूरी हो सकता है।