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एकजुट हों पत्रकार, कोई नहीं आएगा मदद के लिए: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश वसंत त्रिवेदी ने किया सचेत

-इंडिया मीडिया लिंक एंड इवेंट्स मैनेजमेंट के माध्यम से स्वर्गीय विजय साखलकर को दी गई श्रद्धांजलि

सामना संवाददाता / मुंबई
क्या यह उम्मीद की जाती है कि साधारण जीवन जीने वाला एक पत्रकार सरकार की दमनकारी परिस्थितियों से गुजरकर सरना जाएगा? पत्रकार विनय खरे चले गए, संजीवन ढ़ेरे बीमार हैं, कई पत्रकार स्वाभिमान से जीते हुए आर्थिक रूप से बदहाल जीवन जी रहे हैं। पत्रकार प्रभाकर राणे, अनंत मोरे जैसे कई उदाहरण हैं। सरकार की ॲक्रिडिटटेशन कार्ड प्राप्त करने के दमनकारी नियमों का हवाला देकर सुविधाएं देने से इनकार किया जा रहा है। इसके लिए अब पत्रकारों को स्वयं एकजुट होकर खड़ा होना होगा। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश वसंत त्रिवेदी ने दृढ़तापूर्वक कहा कि हमें पत्रकारों के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय और चिकित्सा सहायता जुटाने की पहल करनी चाहिए। वरिष्ठ बहुमुखी पत्रकार, लेखक, साहित्यकार विजय साखलकर का संक्षिप्त बीमारी के बाद 27 जनवरी को निधन हो गया। विजय साखलकर को श्रद्धांजलि देने के लिए मुंबई मराठी पत्रकार संघ के कै. वसंत शिंदे ऑडिटोरियम में इंडिया मीडिया लिंक एंड इवेंट्स मैनेजमेंट के के. रवि की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन के रवि (दादा) एवं विजय साखलकर मित्र मंडल के तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए, योगेश वसंत त्रिवेदी ने पत्रकारों की वर्तमान दुर्दशा के बारे में विस्तार से बताया और खेद व्यक्त किया कि मुंबई मराठी पत्रकार संघ, एक पंजीकृत संगठन जो ८० वर्षों से अधिक समय से काम कर रहा है, काम करने के बावजूद भी महाराष्ट्र सरकार की किसी भी समिति में कोई आधिकारिक प्रतिनिधि नहीं है और यह भी कहा कि एसोसिएशन को सरकार के साथ अनुवर्ती कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हमारे अपने पत्रकारों को सरकारी समितियों में काम करते समय दमनकारी स्थितियों को खत्म करने के लिए कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है। जबकि मैं ॲक्रिडिटटेशन समिति में मंत्रालय और विधानमंडल संवाददाता संघ का प्रतिनिधि था, समिति ने 2016 में एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में 58 वर्ष की आयु और 25 वर्ष के अनुभव के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 9 मई 2023 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आचार्य बालशास्त्री जांभेकर पत्रकार सम्मान योजना की राशि 11,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने की घोषणा की। मंत्रालय एवं विधानमंडल संवाददाता संघ के अध्यक्ष प्रमोद डोईफोडे ने मुख्यमंत्री से यह राशि पच्चीस हजार रुपये करने की मांग की थी। उस घोषणा का जीआर अभी आना बाकी है। जीवन की संध्या में, सम्मान योजना को गरिमा के साथ दें, सहनशक्ति का अंत न देखने की मांग करता है। आचार्य बालशास्त्री जांभेकर पत्रकार सम्मान योजना और शंकरराव चव्हाण सुवर्ण महोत्सव पत्रकार कल्याण कोष को अलग कर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को 100/100 करोड़ रुपए का प्रावधान करने की अपील की गई हैं। सरकार को अविलंब इन मांगों को मानकर पत्रकारों को राहत देनी चाहिए। किसी पत्रकार के पत्रकार होने पर मान्यता का कोई सख्त नियम नहीं थोपा जाना चाहिए। क्या जिनके पास ॲक्रिडिटटेशन पत्र नहीं हैं वे पत्रकार नहीं हैं? उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह का आक्रोशपूर्ण सवाल उठाते हुए महाराष्ट्र के सभी पत्रकारों को उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। के रवि (दादा), ​​प्रो. हेमंत सामंत, भरत कदम, राजेंद्र सालस्कर, सोनल खानोलकर, नासिकेत पानसरे, घनश्‍याम भडेकर, सत्‍यवान तेटांबे, सुधीर हेगिश्टे, अविनाश किंकर, सत्‍यजीत चव्हाण, स्वप्निल सोगम, गोपीनाथ घड़ी आदि ने अपने अनुभव सुनाए और स्वर्गीय विजय साखलकर को श्रद्धांजलि दी गई। के रवि (दादा) ने कहा कि आइए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय एक साथ खड़े होकर पत्रकारों के लिए काम करें। इस शोकसभा का संचालन राजेंद्र सालस्कर ने किया।

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