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यूपी-बिहार से आगे ‘कराड’ … वाल्मीक का ऐतिहासिक सरेंडर! …पुलिस और कानून व्यवस्था को शर्म आनी चाहिए

गोपीनाथ मुंडे के नाम को मटियामेट कर रहे हैं फडणवीस
रामदिनेश यादव / मुंबई
पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र में अपराध तेजी से बढ़ रहा है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। यूपी, बिहार तो सिर्फ नाम के लिए बदनाम हैं। महाराष्ट्र तो उससे भी कहीं आगे निकल गया है। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने महाराष्ट्र और मुंबई से अपराधियों को मिटाने का सराहनीय काम किया था आज उन्ही की भूमि बीड में हुए सरपंच देशमुख हत्याकांड ने महाराष्ट्र को बदनामी के टॉप पर पहुंचा दिया है।
महाराष्ट्र के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई आरोपी पुलिस के समक्ष सरेंडर होने से पहले, सरेंडर होने की जगह और समय तय करता है, अपनी गाड़ी में आराम से बैठकर, घूमते टहलते, अपने लोगों व पुलिस को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए पुलिस के पास आता है। आश्चर्य तो यह है कि कराड कहां था यह पुलिस को अंत तक पता नहीं चलता है जबकि प्रदेश के ज्यादातर लोगों, मीडिया, उसके साथी सभी को पता था कि वह कहां है।
वाल्मीक कराड बीड से अक्कल कोट गया, उसके लोग बता रहे हैं कि वह वहीं बीड में कई दिनों से था। मीडिया को उसके चप्पे-चप्पे की जानकारी मिल रही थी लेकिन सिर्फ और सिर्फ पुलिस को इसकी जानकारी नहीं थी। मीडिया सहित सभी को पता था कि कराड आज सरेंडर करने वाला है। पर पुलिस ने ऐसे जताया मानो उसे अंदेशा भी नहीं कि कराड आएगा। उसने सरेंडर इस स्टाइल में किया कि मानो पुलिस पर ही मेहरबानी की हो।
कराड ने सरेंडर से पहले एक वीडियो जारी कर ऐसे जताया जैसे वह जेल में नहीं मंत्री पद की शपथ लेने जा रहा है। उसमें वह बता रहा है मुझे पूर्व जमानत का अधिकार है फिर भी सरेंडर हो रहा हूं। संतोष भैया को जिसने मारा है उसे फांसी की सजा होनी चाहिए, मुझे न्याय देवता पर विश्वास है। ऐसा बोलकर उसने खुद को क्लीनचिट दी है। अब सवाल यह है कि यह बोलने के लिए उसे २२ दिन वैâसे लग गए। अगर ओ गलत नहीं था तो पहले दिन ही बोल सकता था।

सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन
इस पूरी घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर धब्बा लगा दिया है। पुणे जैसे बड़े शहर में बीड से आकर कराड रह रहा है और पुलिस को खबर तक नहीं, और वह सरेंडर पुणे में आकर कर रहा है तब तक उन्हें खबर नहीं। यह पुलिस की नाकामी का अचूक नमूना है। इससे ज्यादा शर्मसार करने वाला कृत्य क्या होगा। वाल्मीक का सरेंडर ऐतिहासिक सरेंडर है। २२ दिनों बाद उसने पुणे में अपने मनमुताबिक सरेंडर किया। उस मामले में तीन आरोपी अब भी फरार है। क्या राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने ही नेता गोपीनाथ मुंडे के नाम को मटिया मलीदा नहीं कर रहे हैं।

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