कारगिल विजय

मां भारती के पुत्रों ने फिर जौहर आज दिखाया है।
कारगिल द्रास बटालिक में परचम अपना फहराया है।।
धैर्य नहीं कर खोया कोई सीने में पर गोली खाया है।
अद्भुत साहस दिखा धूर्त दुश्मन को भी धूल चटाया है।।
बम बंदूकों से पहले घुसपैठियों को समझाया है।
हद करने पर ही बोफोर्स तोपों से उन्हें उड़ाया है।।
मिग मिराज जगुआरों से आकाश से कहर ढाया है।
हिम चोटी पर छुपे हुए चोरों पर बम बरसाया है।।
झेल न पाए वार भारतीय मरी पाकियों की नानी।
चोरों जैसे पीठ दिखाकर भाग लिए पाकिस्तानी (1)
कर बल से जब हार गया तो छल से खीझ निकाल रहा।
गलतफहमियां जाने क्यों बेइमान अभी भी पाल रहा।।
खुद है महा भिखारी फिर भी दामादों को पाल रहा।
सीमा पर टकराव नित्य का नहीं हरामी टाल रहा।।
चोरी की गोरी के दम पर दम्भ अभी भी पाल रहा।
विजय बता कारगिल में निज करता अवाम में लाल रहा।।
कर तो ली घुसपैठ किंतु भीगी बिल्ली सा हाल रहा।
भारतीय आक्रमण जबाबी बेईमान को साल रहा।।
मरने पर मजबूर कर दिए पुन: शेर हिंदुस्थानी।
चोरों जैसे पीठ दिखाकर भाग लिए पाकिस्तानी।। (2)
आईएसआई से आतंकी गतिविधियां चलवाता है।
धन की लालच दे मुस्लिम नवयुवकों को भड़काता है।।
संरक्षण दे उग्रवादियों से घुसपैठ कराता है।
इस्लामी जेहाद हरामी घाटी में फैलाता है।।
निर्दोषों मासूमों की हत्याएं नित्य कराता है।
भारतीय कश्मीर पर जबरन अपना हक जताता है।।
शायद बांग्लादेश का उदय उसको भी अभी सताता है।
इसीलिए उग्रवाद को स्वाधीनता संग्राम बताता है।
किंतु हो गई असफल उसकी करगिल की कारस्तानी।
चोरों जैसे पीठ दिखाकर भाग लिए पाकिस्तानी। (3)
-कमलेश पाण्डेय `तरुण’
मुंबई

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