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तरबूजों को लेकर जारी चेतावनी से कश्मीरी परेशान

-पिछले साल रमजान में 200 ट्रक तरबूज की हुई थी खपत… इस बार कृत्रिम रूप से पके होने के कारण स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं स्थानीय

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

रमजान की शुरुआत से पहले कश्मीर में तरबूजों के प्रति जारी हुई एक चेतावनी से कश्मीरी परेशान हैं। उनकी परेशानी यह है कि रमजान में उनका सबसे प्रिय फल तरबूज अगर उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हुआ तो क्या होगा। यह सच है कि कश्मीरी 200 से 250 ट्रक तरबूज हर बार रमजान में डकार जाते हैं। ऐसे में उन्हें इसका विकल्प तलाशने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें चलनी आरंभ हुई हैं कि पवित्र महीने रमजान से पहले कश्मीर के बाजारों में कृत्रिम रूप से पकाए गए तरबूजों की बाढ़ आ गई है। इसकी शुरुआत क्लिनिकल आन्कोलाजिस्ट डॉ. वजाहत द्वारा एक्स/ट्विटर पर पोस्ट किए गए संदेश से हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि यह तरबूज का मौसम नहीं है, इस रमजान में कृत्रिम रूप से पकाए गए तरबूज को ना खाएं। खुद को रसायनों और बाद में कीमोथेरेपी से बचाएं। हालांकि, अब जम्मू-कश्मीर के खाद्य सुरक्षा विभाग ने लोगों से बाजार में कृत्रिम रूप से पके फलों की आमद की खबरों के बीच न घबराने की अपील की है।
यह सच है कि पवित्र महीने के दौरान कश्मीर में फलों, विशेषकर तरबूज की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है। हालांकि, बाजार में कृत्रिम रूप से पकाए गए फलों को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है। जम्मू-कश्मीर ड्रग एंड फूड कंट्रोल आर्गनाइजेशन के डिप्टी कमिश्नर शगुफा जलाल कहते हैं कि वे नियमित रूप से कश्मीर के सभी जिलों में बाजार की जांच कर रहे हैं, ताकि यह जांचा जा सके कि कोई फल या सब्जी मिलावटी या दूषित तो नहीं है, जिससे उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
उनके अनुसार, अगर इस बार तरबूज आया है, तो यह बेमौसम नहीं हो सकता है। यह उस राज्य में उगाया गया होगा, जहां इसका मौसम शुरू हो गया है या फल नियंत्रित वातावरण (सीए) स्टोर में हो सकता है। खाद्य सुरक्षा विभाग के एक अधिकारी मुश्ताक अहमद ने दावा किया कि दिसंबर 2023 के महीने में किए गए ताजे फलों और सब्जियों के निगरानी नमूनों में कोई नकारात्मक परिणाम नहीं दिखे। उनकी बात पर यकीन इसलिए करना पड़ता है, क्योंकि पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर ने खाद्य सुरक्षा सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल किया है और केंद्र शासित प्रदेश श्रेणी में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है।
यह सच है कि कश्मीर में सिर्फ मीट ही नहीं, बल्कि तरबूज और खजूर की खपत भी पिछले साल एक रिकॉर्ड बना चुका है। सच में कश्मीरियों ने पिछली बार रमजान के पवित्र महीने में खजूर खाने में नया रिकॉर्ड कायम किया था। हालांकि, वर्ष 2022 की तरह तरबूज की खपत प्रथम स्थान पर ही रही थी, पर इस बार इसमें खजूर भी जुड़ गई थी। रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल रमजान के दिनों में कश्मीरियों ने 150 ट्रक खजूर खा ली थी और इस साल इनकी खपत 200 ट्रक से अधिक होने की है।
दरअसल, हर साल रमजान के पवित्र महीने में तरबूज की बिक्री आम तौर पर बढ़ जाती है। पर पिछली बार कश्मीरियों को खजूर भी बहुत पसंद आई थी। पत्रकारों से बात करते हुए ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष बहादुर खान ने बताया कि पिछले रमजान में करीब 150 ट्रक खजूर कश्मीर पहुंचे थे और इस बार इनका आना शुरू हो चुका है। कश्मीर में जो खजूर खाए जाते हैं, उनमें ज्यादातर अजवा हैं और ज्यादातर श्रीनगर लाए जाते हैं, फिर श्रीनगर से विभिन्न जिलों के विभिन्न वितरकों को खजूर बेचे जाते हैं।
फ्रूट एंड वेजिटेबल एसोसिएशन कश्मीर के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने बताया कि तरबूज से लदे कम से कम 25 से 30 ट्रक हर दिन कश्मीर पहुंचने शुरू हो चुके हैं। प्रत्येक ट्रक में लगभग 15 से 20 टन तरबूज होते हैं। पिछले साल 200 ट्रक तरबूज कश्मीर में रमजान के दौरान खा लिए गए थे।

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