मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिजिंदगी के लिए कुछ शौक जिंदा रखिए-डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल

जिंदगी के लिए कुछ शौक जिंदा रखिए-डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल

सामना संवाददाता / मुंबई

हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था, मुंबई द्वारा न्यु सी ब्यु, न्यु रविराज कॉम्प्लेक्स, जेसल पार्क भाईंदर-पूर्व में संस्था की 245वीं गोष्ठी का आयोजन संस्था के महासचिव डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल के संयोजन में किया गया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. सुधाकर मिश्र ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि कवि शब्दों का जादूगर होता है। विन्यास विदग्धि से शब्दों के प्रयोग से भावक को सम्मोहित करता है। गीत पढ़ें “शब्द अर्थ हो, पुष्प गंध से” मुख्य अतिथि श्रेयस्कर पत्रिका के संपादक डॉ. कृपाशंकर मिश्र ने कविता पढ़ी- “असत्य का समूल नाश सत्य ही सदा करै।”, “अब कहा तन कर खड़ा हिमालय भरा विश्वास से।”, हिंदी गजल के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने शेर पढ़ा, “बात दूर तक गई अफवाहों में ही रही होती। ढूलक कर आंसुओं ने सही बात न कहीं होती।”, ” लगा के दिल जी भर खेला, उसने तोड़ दिया। दिल दिया था, उसे दिलबर समझ कर मैंने।” मुकम्मल गजल कहा, “जिंदगी के लिए कुछ शौक जिंदा रखिए, अंधेरा कितना हो हाथों में दिया रखिए, गजब है अंधे-बहरे बीमार परखेंगे हमें। वक्त की मार खून में गर्मीया रखिए।” प्राध्यापक विजय नाथ मिश्र ने “शेर की सवारी गले मुण्ड माला धारी।”, “न बैर हो किसी का किसी से दोस्ती फलै फूलै।”, कविता पढ़ी तो डॉ. मदन गोपाल गुप्ता” शतदल की मुस्कान प्रिये”, “जवनियां हठ न छोड़े।” गीतकार मार्कंडेय त्रिपाठी ने दो गीत पढ़ें” जीवन में झुककर रहने से मान कभी नहीं कम होता।”, “कविता से कविता गायब है।” भोलानाथ तिवारी मूर्धन्य भारतांचली ने काव्य पाठ किया” हम दे न सकें जवाब उम्र भर।”, “नासाज वक्त ने सिखा दिया हुनर।” फिल्मों और सीरियल के लिए रिसर्च करने वाले डॉ. संजय सिंह निर्जल ने कविता पढ़ी” विश्वामित्र का हृदय राम राम बोल उठा।” अमरनाथ द्विवेदी अमर ने “मैं कोई कवि नहीं शब्दों का जादूगर हूं।” तो शब्दार्थ के संयोजक किरन चौबे ने “आज वक्त तुम्हारा है कल किसी और का होगा “,” देवी गीत ” माता कर दें कल्याण, पूर्ण मनोरथ काम।” बेहतरीन गीत प्रस्तुत किया। अरूण दुबे अविकल ने ” तीन ताप हारी अम्बे मातु तिरसुलवाँ”, “गावै अरुण बनाई के भजनिया ना। सारा वातावरण भक्ति भाव से विभोर हो गया । अजीत सिंह ने गीत “हमें क्या पता था यही जिंदगी है।” आदि कवियों ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर कहानीकार प्रभाकर मिश्र ने “कहां आ गए हम” कहानी का वाचन किया। मार्कंडेय त्रिपाठी ने सरस्वती वंदना करके विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव डॉ. उमेश चंद्र शुक्ला ने किया अतिथियों के प्रति आभार वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र पांडे ने व्यक्त किया। इस अवसर पर मीरा भाईंदर के विशेष गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया। लोगों ने आयोजन की भूरि भूरि सराहना की ।

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