कोकण वासियों में छाई निराशा
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
कोकण क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है लेकिन यह क्षेत्र रेलवे की उपेक्षा का शिकार हो रहा है। कोकण रेलवे द्वारा यहां डबल ट्रैकिंग के प्रस्ताव को भेजे हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह स्थिति यहां के निवासियों और व्यापारियों के लिए निराशाजनक है। इस डबल ट्रैकिंग से न केवल यातायात में सुधार होने की उम्मीद थी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलने की संभावना थी, लेकिन वर्तमान में यह प्रस्ताव केवल कागजों में धूल चाट रही है।
प्रशासन का ढुलमुल रवैया
यह पहली बार नहीं है जब कोकण क्षेत्र की विकास योजनाओं को प्रशासनिक सुस्ती का सामना करना पड़ा है। इससे पहले भी कई योजनाएं और परियोजनाएं केवल फाइलों में बंद होकर रह गर्इं। अधिकारियों की बेरुखी और निर्णय लेने में देरी ने इस क्षेत्र के विकास की गति को लगातार बाधित किया है। कोकण के लोग इस मामले में बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि प्रशासन की उदासीनता ने उनकी उम्मीदों को कई बार तोड़ा है।
कहां तक पहुंचा है काम?
बता दें कि कोकण रेलवे ४ राज्यों को जोड़ने का कार्य करता है। रेलवे की सिंगल लाइन होने के कारण गणेशोत्सव के दौरान कोकण क्षेत्र में यात्रा के लिए सीमित ट्रेनों का संचालन हो पाता है। मौजुदा समय में रोहा से वीर तक डबलिंग का कार्य पूरा हो चुका है। एक अधिकारी ने बताया कि मडगांव से ठोसर और कणकवली से सावंतवाडी तक का काम जल्द पूरा किया जाएगा।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
मुंबई में रहनेवाले कोकणवासियों का कहना है कि रेलवे की डबल ट्रैकिंग का प्रस्ताव वर्तमान में प्रशासनिक सुस्ती का शिकार बनकर रह गया है। अगर जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो कोकण का विकास सिर्फ एक सपना ही रह जाएगा।