– हजारों करोड़ के निवेश पर संकट
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार ने दावा किया था कि देश के आम आदमी को उड़ने के लिए छोटे शहरों में भी हवाई अड्डे बनाए जाएंगे, ताकि चप्पल पहनने वाला भी विमान यात्रा कर सके। ‘उड़ान’ योजना के तहत कई एयरपोर्ट बनाए भी गए। पर इनमें से कई एयरपोर्ट का हाल कूड़ेदान सरीखा हो गया है। वहां पर न तो यात्री हैं और न ही कोई फ्लाइट है। ऐसे में केंद्र सरकार के हजारों करोड़ के निवेश पर पानी फिर गया है। इसी कड़ी में बड़ी धूम-धाम से करीब तीन साल पहले कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया था।
मिली जानकारी के अनुसार, यात्रियों और उड़ानों की कमी की वजह से कुछ हवाई अड्डे तो भुतहा बन गए हैं। बुनियादी ढांचे में भारी निवेश के बावजूद, उत्तर प्रदेश में कुशीनगर और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जैसे नए हवाई अड्डे काफी हद तक निष्क्रिय बने हुए हैं।
निष्क्रिय है सोलापुर एयरपोर्ट
नए हवाई अड्डों में कुरनूल (आंध्र प्रदेश), पाकयोंग (सिक्किम) और सिंधुदुर्ग का भी यही हश्र हुआ है। ६५ करोड़ रुपए की लागत से नवीकरण के बाद सोलापुर हवाई अड्डा भी निष्क्रिय बना हुआ है।
पीछे हटीं एयरलाइंस
सिंधुदुर्ग का उद्देश्य इसके प्राचीन समुद्र तटों के साथ गोवा के तटीय पर्यटन को टक्कर देना था, लेकिन मांग और संचालन से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं के चलते स्पाइसजेट और एलायंस एयर जैसी एयरलाइन संचालन से पीछे हट रही हैं।
८ महीने से एक भी उड़ान नहीं
केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी में इस साल लगातार आठ महीनों तक एक भी निर्धारित उड़ान नहीं हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, २० दिसंबर को ८ महीनों में पहली बार यहां बंगलुरु से ७८ सीटों वाली टर्बोप्रॉप फ्लाइट एयरपोर्ट पर उतरी। इसी तरह कुशीनगर हवाई अड्डे पर गत अप्रैल से उड़ानें बंद हैं।