सामना संवाददाता / मुंबई
युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़े जोर-शोर से शुरू की गई `मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रोत्साहन योजना’ में भाग लेने वाले युवा प्रशिक्षुओं को कोई पारिश्रमिक नहीं मिलने का खुलासा हुआ है। दिवाली के दौरान इन प्रशिक्षुओं को मानधन नहीं मिलने से उनकी दिवाली फीकी नजर आ रही है। एक तरफ लाडली बहनों को दिवाली के लिए एडवांस में पैसे मिल गए, वहीं लाडके भाऊ को काम के लिए पैसे नहीं मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन योजना की तर्ज पर युवाओं के लिए मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत उम्मीदवारों ने `महास्वयं’ वेबसाइट पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अपने आवेदन जमा किए थे। प्राप्त आवेदनों की जांच कर योग्य प्रशिक्षुओं को ज्वाइन करने का आदेश दिया गया। इन प्रशिक्षुओं को उनकी शिक्षा के अनुसार ६ से १० हजार रुपए मिलेंगे। तदनुसार, प्रशिक्षु जिला परिषद प्राथमिक विद्यालयों, ग्राम पंचायतों, पंचायत समिति, अर्ध-सरकारी और निजी क्षेत्र के कार्यालयों आदि में शामिल हो गए हैं। लेकिन अभी तक उनके पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है। कुछ जगहों पर मानधन दिया गया है। हालांकि, वह राशि बहुत कम है।
राज्य सरकार ने मानधन के लिए महास्वयं नामक एक नया पोर्टल शुरू किया है और इसमें प्रतिष्ठान के माध्यम से लॉगइन कर उपस्थिति पत्रक अपलोड करने का आदेश दिया गया है। हालांकि, विभिन्न प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को इसकी कोई जानकारी नहीं है। प्रशासन में समन्वय की कमी के कारण प्रशिक्षुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रशिक्षु ने बताया कि उन्हें लगातार कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। पिछले सप्ताह महास्वयं के नए पोर्टल पर ऑनलाइन अटेंडेंस शीट अपलोड करने का आदेश हुआ था। अब फिर से ऑफलाइन उपस्थिति पत्रक प्राचार्य के हस्ताक्षर व मुहर के साथ केंद्राध्यक्ष को देने के नए आदेश आए हैं। मैं नहीं जानता कि क्या सच है और क्या झूठ। यह स्पष्ट नहीं है कि महास्वयं पर लॉगिन प्रिंसिपल द्वारा किया जाना चाहिए या हमारे द्वारा। इससे हमें काफी नुकसान हो रहा है.’ प्रशिक्षु ने कहा कि मेरे जैसे कई प्रशिक्षु इस मानसिक समस्या से गुजर रहे हैं।