बहुत सरल हैं लक्ष्मण रेखाएं खींचना
दुर्गम पहाड़ जैसा है इन्हें पार करना।
कोशिश कर लो जुटा साहस जितना भी
परंतु, बिंध जाती आत्मा जीवन छलनी बन जाता।
खींची लक्ष्मण रेखाएं विरासत की सौगात होती
इन्हें एक पीढ़ी निभाती आगे सरका देती ।
साथ समय के विचार धारा, मानसिकता बदलती
अक्सर यह खींची रेखाएं नीचे ,पीछे ढकेलती।
बहू मूल्य क्षमताएं अकारण इनकी बली चढ़ जाती
कलंकित हो बीते समय की कहानी बनती।
ना रांझा जोगी बनता ना कच्चे घड़े पर हीर डूबती
घरोंदों से लेकर महलों तक सिसकियां सुनाई पड़ती।
मेधावी,कोकिलाकंठी, खिलाड़ी कन्याएं सामाजिक मान्यताएं तोड़ नहीं पाती
बिना किये अपराध लक्ष्मण रेखाओं का कारावास सहती।
बेला विरदी।