-उल्हासनगर के उपविभागीय अधिकारियों ने दिया आदेश
-सरकारी खाते में जमा करना होगा पैसा
सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर पूर्व के बेलवली क्षेत्र में एक इमारत की सातवीं और बारहवीं मंजिल पर मुंबई रेलवे विकास निगम का नाम अंकित होने का तथ्य खुद सोसायटी के सदस्यों ने उजागर किया। इस मामले में तीनों पुराने मालिकों के तीन खातों में २ करोड़ ६६ लाख रुपए का मुआवजा भी जमा करा दिया गया। इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई में उल्हासनगर के उपविभागीय अधिकारियों ने संबंधित खाताधारकों को १५ दिनों के भाrतर २ करोड़ ६६ लाख रुपए सरकारी खाते में जमा करने का आदेश दिया है। हालांकि, आश्चर्य की बात यह है कि इस मामले में अभी तक किसी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है।
बदलापुर पूर्व में स्वानंद अर्नब को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों ने सोसायटी को कानूनी रूप से स्थानांतरित करने के प्रयास शुरू किए तो पता चला कि सोसायटी के परिसर के स्वामित्व विलेख पर पुराने मालिकों के नाम नहीं, बल्कि मुंबई रेलवे विकास निगम का नाम दर्ज था। जब उन्होंने मामले की जांच की तो पता चला कि भूमि अधिग्रहण में घोटाला हुआ है। इस मामले में मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद भूमि अधिग्रहण कार्यालय और उप-विभागीय कार्यालय में हलचल मच गई। उन्होंने इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी। इस रिपोर्ट के बाद स्थानीय निवासियों द्वारा दर्ज की गई शिकायत स्वीकार कर ली गई और निर्णय लिया गया। उपविभागीय अधिकारी कार्यालय ने इस मामले में ७ अप्रैल को पैâसला जारी किया है। आदेश की तिथि से १५ दिवस के अंदर कार्यालय के सरकारी खाते में २ करोड़ ६६ लाख ५८ हजार ७६८ रुपए जमा कराने होंगे। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि यह धनराशि समय सीमा के भीतर जमा नहीं की गई तो उक्त धनराशि की वसूली के लिए आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
अभी तक अपराध नहीं हुआ है दर्ज
यह अभी भी अनुत्तरित है कि क्या मुंबई रेलवे विकास निगम का नाम मौजूदा इमारत की छत पर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में किसी की लापरवाही के कारण रखा गया था या जानबूझकर ऐसा किया गया था। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया एक सामूहिक जिम्मेदारी है और इसमें विभिन्न सरकारी कार्यालयों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल होते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर उनके खिलाफ कार्रवाई कब होगी। मुआवजा पाने वालों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं और सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार को चूना लगाने के बावजूद इस मामले में कोई आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया।