लोकसभा चुनाव के सुखद नतीजों के बाद महाराष्ट्र के लिए एक और आनंददायक खबर है। ऐसे वक्त में जब राज्य पिछले दो महीनों से भीषण गर्मी के जानलेवा कहर से जूझ रहा है, मौसम विभाग ने आधिकारिक घोषणा की है कि (नैऋत्य) दक्षिण-पश्चिम मानसून का महाराष्ट्र में आगमन हो गया है और कोकण के निचले जिलों में मॉनसून की बारिश शुरू हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में मॉनसून के ट्रेंड के अनुसार, मॉनसून १० जून के आस-पास महाराष्ट्र में प्रवेश करता है। लेकिन इस साल यह दो दिन पहले यानी ८ जून को महाराष्ट्र में प्रवेश करेगा, इसकी घोषणा मौसम विभाग ने पहले ही कर दी थी। हालांकि, सौभाग्य से मॉनसून के तेज प्रवास के लिए अनुकूल वातावरण बनने के कारण इस वर्ष मानसून अंडमान, केरल, कर्नाटक तट से लेकर महाराष्ट्र के कोकण तट तक की पूरी यात्रा तेजी से तय कर चुका है। ऐसा अनुभव किया गया है कि अंडमान से निकलकर केरल पहुंचने पर बीच में कुछ छूट जाता है और मानसून का सफर लंबा खिंच जाता है तथा महाराष्ट्र पहुंचने में अक्सर १२ से १५ दिन लग जाते हैं, लेकिन इस साल प्रकृति मेहरबान रही और महज एक हफ्ते में ही ३० मई को केरल में प्रवेश कर चुका मॉनसून महाराष्ट्र की दहलीज पर आ पहुंचा, यह निश्चित ही एक शुभ वर्तमान है। कोकण से लेकर तेलंगाना-आंध्र प्रदेश के मेडक, भद्राचल, विजयनगर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक मॉनसून सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि दो दिनों तक गोवा में रहनेवाला मॉनसून अगले २४ से ४८ घंटों में यानी शनिवार तक मुंबई, पुणे और दक्षिण महाराष्ट्र तक पहुंच जाएगा। चक्रवात ‘रेमल’ के कारण मॉनसून ने गति पकड़ी और इसके कारण यह कम समय में भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से को कवर कर गया। अगर मॉनसून इसी गति से जारी रहा तो अगले दो-तीन दिनों में मॉनसून की बारिश बरसने लगेगी। किसी व्यक्ति के अनुभव के बारे में बात करते समय अक्सर ‘उसने कई गर्मियां और बारिशें देखी हैं’ वाक्यांश का उपयोग किया जाता है, लेकिन इस साल की चिलचिलाती गर्मी, बढ़ते पारे का स्तर और पिछले महीने लू के कारण देशभर में लगभग ५० लोगों की मौत के बाद उम्रदराज लोगों का कहना है कि ऐसी गर्मी पहले कभी नहीं देखी। लू के कारण मध्य प्रदेश में १४, महाराष्ट्र में ११, आंध्र प्रदेश में ६ और राजस्थान में ५ लोगों की मौत हो गई। मुंबई और पुणे में भी उच्च तापमान दर्ज किया गया। लगभग २ महीने तक आग उगलने वाले सूर्य की वजह से राज्य के जलाशय बड़े पैमाने पर वाष्पित हो गए और जल भंडार तेजी से घट गए। कुएं और तालाब सूख जाने की वजह से महाराष्ट्र और देश के लगभग १००-१५० जिलों में अकाल जैसे हालात बन गए हैं। मराठवाड़ा समेत कई इलाकों में लोगों को पिछले एक महीने से पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। ऐसे वक्त में जब कई गांव केवल टैंकर के पानी पर निर्भर हैं और ऐसे गांवों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मॉनसून ने वक्त से पहले ही महाराष्ट्र का दरवाजा खटखटा दिया है। अगले ५ दिनों में मध्य महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र और विदर्भ के कुछ जिलों और मराठवाड़ा के सभी आठ जिलों में तूफानी हवाओं के साथ भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है। भयानक गर्मी से बेहाल महाराष्ट्र अगले दो-चार दिनों में अच्छी तरह भीगने वाला है तो इससे बड़ी खुशी की खबर क्या हो सकती है? कोकण में प्रवेश कर चुका मॉनसून अब महाराष्ट्र के खेत-खलिहानों पर जी भरकर बरसकर किसानों के जीवन में खुशहाली लाए। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल की बारिश महाराष्ट्र के लिए उत्तम है। इसे सच होने दो, महाराष्ट्र को ‘जी भरकर भीगने’ दो! लोकसभा चुनाव में मराठी साम्राज्य द्वारा दिल्ली के सुल्तानी संकट को बड़ा झटका देने के बाद आसमानी शक्ति ने तय समय से पहले मानसून भेजकर महाराष्ट्र को सुखद आश्चर्य ही दिया है। इसे संयोग असाधारण ही कहा जाएगा!