बदलापुर में बिल्डरों द्वारा नदी-नालों को हड़पने से नदी-नालों का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है। इस वजह से भविष्य में जल जमाव का भारी संकट गहराता नजर आ रहा है। सरकार ने उल्हास नदी को रेड ब्लू लाइन दी है, जिसके कारण एक बार प्लान पास करने में नगर रचनाकार मनमानी नहीं कर पा रहे हैं। नालों की स्थिति यह है कि मानसून और घरेलू पानी छोटी-छोटी नालियों से होकर बड़े नाले का रूप धर उल्हास नदी में जाकर गिरता है। आश्चर्य का विषय है कि नगर रचना में छोटी नालियों और नालों का जिक्र ही नहीं है। नपा प्रशासन से मिलीभगत कर बिल्डर नदी-नालों को खत्म करने की फिराक में हैं। नदी-नालों के किनारे सीमेंट की दीवार खड़ी की जा रही है। इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि पानी की निकासी को नजरअंदाज कर प्लान पास करनेवाले भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही इमारत को भी ध्वस्त किया जाए। इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से सरकार को लेना चाहिए। नालों को संकुचित करने का गोरखधंधा बदलापुर के पूर्वी इलाके में बड़े पैमाने पर शुरू है।
– आदर्श तायडे, बदलापुर