कोविड के दौरान शव जलाने में होनेवाली परेशानियों को देखते हुए उल्हासनगर मनपा प्रशासन के सार्वजनिक बांधकाम विभाग की तरफ से किए गए प्रयास के उपरांत शहर की चारों श्मशान भूमि में डीजल, गैस, पेट्रोल द्वारा शव जलाने के लिए शवदाह गृह बनाने का प्रस्ताव पास किया गया। बड़े ही ताम-झाम के साथ उद्घाटन करने के बावजूद आज कई वर्ष बाद भी उल्हासनगर के शांतिनगर श्मशान भूमि का डीजल शवदाह गृह शुरू नही हो सका है। उल्हासनगर-३ के शवदाह गृह में मध्यवर्ती अस्पताल से प्रतिमाह दर्जनों लावारिस शवों को जलाने के लिए मनपा का स्वास्थ्य विभाग लाता है। शव को जलाने के लिए बड़ी मात्रा में लकड़ी लगती हैं और इस लकड़ी की व्यवस्था जंगलों को काटकर की जाती है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए चारों श्मशान भूमियों में लकड़ी की बजाय बिजली, गैस, डीजल से शव जलाने की व्यवस्था हो इसके लिए नारियल फोड़ा गया, परंतु शवदाह गृह की शुरुआत कब होगी, कहा नहीं जा सकता? एक तरफ कल्याण, अंंबरनाथ, बदलापुर में काफी समय पहले ही डीजल शवदाह गृह की व्यवस्था की जा चुकी है, वहीं उल्हासनगर में राजनीतिक उदासीनता के परिणामस्वरूप वर्षों पहले उद्घाटन होने के बावजूद शांतिनगर के अलावा अन्य श्मशान भूमि का डीजल शवदाह गृह शुरू होने का नाम नहीं ले रहा है। मनपा प्रशासन को चाहिए कि वो जल्द से जल्द डीजल शवदाह गृह शुरू करे।
– संदीप चौहान, उल्हासनगर