जिंदगी एक कागज का टुकड़ा है
गवर्नर के हस्ताक्षर से नोट बन जाता है।
जिसे तोड़ने, मरोड़ने, गंदा होने एवं
जर्जर होने से भी उसकी कीमत कम नहीं होती।
आप भी ईश्वर के हस्ताक्षर हैं,
जब तक आप ना चाहें
आपकी कीमत कम नहीं हो सकती,
आप अनमोल थे, अनमोल हैं।
अपनी कीमत पहचानिए।
अनमोल ही बने रहिए।
सांस का आना-जाना ही जीवन है।
अपनी अनमोल सांसों को पहचानें।
-प्रेम रावत