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जान की कीमत दो कौड़ी भी नहीं! …बार-बार आतंकी हमले के बाद भी नहीं खुलीं प्रशासन की आंखें

– मुंबई के स्टेशनों पर चाक चौबंद नहीं है सुरक्षा
द्रुप्ति झा / मुंबई
२६/११ के आतंकी हमले को शायद ही कोई मुंबईकर भूला होगा। आज भी उसकी दुखद यादें लोगों के दिलों में वैâद हैं, लेकिन बीजेपी सरकार शायद इसे भूल चुकी है। ये वही बीजेपी सरकार है, जो २००८ में हुए आतंकी हमले को लेकर मातम मना रही थी, उस वक्त की कांग्रेस सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए कोस रही थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इतना सब होने के बाद भी मुंबई की सुरक्षा भगवान भरोसे है और सरकार के लिए आम आदमी की जिंदगी की कीमत दो कौड़ी की भी नहीं है।
रेलवे स्टेशनों पर लगे मेटल डिटेक्टर काम नहीं कर रहे हैं। सीएसएमटी पर लगे बैग स्वैâनर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। मुंबई पुलिस और सरकार की नाक के नीचे इतनी बदइंतजामी है, तो बाकी जगहों का क्या हाल होगा, खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है। २००८ के हमले के बाद सीएसएमटी पर मेटल डिटेक्टर लगा दिए गए थे। कुछ दिन तो सब ठीक रहा, लेकिन अब सबवे की तरफ वाले दरवाजे पर एक भी नहीं है।
स्टेशन पर एक पोस्ट बनाया गया था, जहां २४ घंटे २ सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे, लेकिन अब न तो वह पोस्ट रही और न ही सुरक्षाकर्मी दिखाई देते हैं। मेन गेट से बैग स्वैâनर भी हटा दिए गए हैं और पुलिसकर्मी बैठे देखते रहते हैं। यह घोर लापरवाही है। अगर कोई बैग में हथियार लेकर घुस जाए तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा?

आवारा लोगों का रहता है जमावड़ा
सीएसएमटी स्टेशन पर रोज सैकड़ों ट्रेनें आती-जाती हैं। यहां सिर्फ लोकल ट्रेनें ही नहीं, बल्कि मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें भी आती हैं। यह मुंबई का सबसे बड़ा और व्यस्त स्टेशनों में से एक है। इसके बाद भी यहां नशेड़ी और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। अक्सर स्टेशन पर ऐसे लोग आसानी से सोते हुए दिख जाएंगे। इसी भीड़ का फायदा आतंकी आसानी से उठा लेते हैं।

`पहलगाम में आतंकी हमले से देश के लोग सदमे में हैं। हर कोई न्याय की मांग और उन आतंकवादियों को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है। जब कश्मीर से धारा ३७० हटाया गया, तभी से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। भारत सरकार शायद इस बात से अनजान है। यही वजह है कि सरकार की आंखें नहीं खुली कि कश्मीर पर कभी आतंकी हमले हो सकते हैं।’

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