मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिसाहित्य रहेगा, तभी मानवता बचेगी-विद्या बिंदु सिंह

साहित्य रहेगा, तभी मानवता बचेगी-विद्या बिंदु सिंह

– राजनीति के बाद अब साहित्य में भी धूनी रमा चुके डॉ. एमपी सिंह की दो सद्य प्रकाशित कृतियों के लोकार्पण में जुटीं हस्तियां

विक्रम सिंह / सुल्तानपुर

‘…सब कुछ चला जाएगा, लेकिन साहित्य बचा रहेगा। साहित्य बचेगा तो मानवता बचेगी। साहित्यकारों में लेखकीय विवेक जरूरी है। हम क्या लिखें और क्या पढ़ें, ये स्पष्ट होना आवश्यक है। जब तक विवेक नहीं होगा, तब तक हमारा लेखन सार्थक नहीं होगा।’ ये कहना है देश के शीर्ष सम्मानों में से एक ‘पद्मश्री’ की उपाधि से नवाजी जा चुकीं प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विद्या बिंदु सिंह का। वे नगर के राणाप्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पुस्तकालय सभागार में वरिष्ठ भाजपा नेता व साहित्यकार डॉ. एमपी सिंह की दो पुस्तकों के लोकार्पण समारोह को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह की पुस्तकें सनातन संस्कृति को मजबूत बनाती हैं। उनकी पुस्तकें पठनीय व संग्रहणीय हैं। यह पुस्तकें नई पीढ़ी तक जरूर पहुंचनी चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पत्रकार आशुतोष शुक्ल ने कहा कि किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं। पुस्तकें हमें व्यापक बनाती हैं। हमारा ज्ञान दुनिया के हर क्षेत्र में पहुंचाती हैं। डॉ. सिंह अपने लेखन से क्षेत्रीय राजनीति और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को समझने के लिए नई दृष्टि देते हैं। शिक्षक से नेता और नेता से लेखक बने डॉ. एमपी सिंह ने बहुत मन से यह पुस्तकें लिखी हैं, उनका लेखन यह बताता है कि भारतीय संस्कृति में असहमति वंदनीय है। असहमत होने के अपने तर्क होते हैं, इनको महत्व देकर हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ महाविद्यालय महराजगंज के प्राचार्य मेजर भगवान सिंह ने कहा कि डॉ. सिंह की रचनाधर्मिता समाज के लिए प्रेरक है। जीवन के चौथे पायदान में सेवानिवृत्त होने के बाद जिस तरह से वे लिख रहे हैं, इतनी सक्रियता के साथ लेखन करने वाले लोग बहुत कम हैं ।
आभार ज्ञापन क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह, स्वागत प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी तथा संचालन आंग्ल साहित्य विभागाध्यक्ष प्रो. निशा प्रकाश ने किया। मंचस्थ अतिथियों ने सरस्वती व राणाप्रताप के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों ने डॉ. सिंह की दो पुस्तकों ‘अंतर्लीनता के पांच दशक’ व ‘उस पार भी भारत’ का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. केडी सिंह, राजकीय महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. भारती सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, डॉ. सुशील कुमार पांडेय साहित्येन्दु, डॉ. शोभनाथ शुक्ल, डॉ. धर्मपाल सिंह, डॉ. डी एम मिश्र, डॉ. राधेश्याम सिंह, सोमेश शेखर चंद्र, दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश, रामप्यारे प्रजापति, पत्रकार एवं इतिहास मर्मज्ञ राज खन्ना, एपीएन कालेज बस्ती के पूर्व प्राचार्य डॉ. बीपी सिंह, पवन कुमार सिंह, एडवोकेट बालचंद्र सिंह, पूर्व प्राचार्य प्रो. एमपी सिंह बिसेन समेत विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं।

अन्य समाचार

बे-सहर