सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में पिछले तीन सालों से ऑगर्न डोनर बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लोगों में अंगदान को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इस वजह से अंगदान करने वाले अब बढ़-चढ़कर आगे आ रहे हैं। इससे कई लोगों की जिंदगियां बच रही है। कोविड के बाद इस साल मुंबई में सबसे ज्यादा ६० लोगों ने अंगदान किए हैं।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में प्रत्येक वर्ष अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो लोगों को जीवनदान दे रहे हैं। आलम यह है कि मुंबई में अंगदान के मामले बढ़े हैं। जेडटीसीसी के मुताबिक, शहर में इस साल ६०, साल २०२३ में ५०, साल २०२२ में ४७ अंगदान हुए हैं, जबकि साल २०२१ में ३२ और साल २०२० में ३० लोगों ने अंगदान किया था। हालांकि, साल २०१९ में कुल ७६ अंगदान किए गए थे।
जेडटीसीसी के मुताबिक, अंगदान को बढ़ाने के लिए कई तरह के पहल किए गए हैं। इसके अलावा सरकारी और मनपा अस्पतालों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन अस्पतालों में ऑर्गन डोनेशन की संख्या बहुत ही कम है। यहां अंगदान को बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जेडटीसीसी की योजना अंगदान के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने और युवा अंगदाताओं को खोजने की है। फिलहाल, मौजूदा समय में अधिकांश दाताओं की आयु ६० वर्ष से अधिक है। ऐसे में अधिकांश समय ये दाता अंगदान के लिए अयोग्य होते हैं।
ऊतक दान पर भी की जाती है बात
जिस समय अधिकारी रिश्तेदारों से बात करते हैं, तो वे ऊतकदान के बारे में भी चर्चा करते हैं। हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दा, अग्न्याशय और आंत का दान करना अब आम बात हो गई है।