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लोखंडवाला हाई प्रोफाइल इलाका या हाई रिस्क जोन?

सामना संवाददाता / मुंबई
कभी कांदिवली के सबसे सुरक्षित इलाकों में गिनेजानेवाले लोखंडवाला की दुर्दशा आज प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता सबूत बन चुकी है। चोरी, छिनैती, अवैध वाहनों की भरमार और गुंडागर्दी से यह हाई-प्रोफाइल इलाका अब हाई रिस्क जोन में आ गया है, लेकिन प्रशासन, मानों आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा हो।
दामू नगर, हनुमान नगर और वडारपाड़ा जैसे इलाकों मं अवैध ऑटो चालकोंकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये चालक न केवल ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों कीसुरक्षा पर भी बड़ा खतरा बन गए हैं। आकुर्ली रोड पर आए दिन होनेवाले हादसे प्रशासन की निष्क्रियता का प्रमाण हैं।
हाल ही में डीपी रोड पर हुई एक दुर्घटना ने यह साबित कर दिया है कि यहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ ‘शब्दों’ का जाल बिछा हुआ है। जनता की शिकायतें, जनप्रतिनिधियों तक पहुंचती हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। और फिर वही पुरानी – तेज रफ्तार वाले ऑटोरिक्शा चालक, बिना किसी डर के ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हुए निकल जाते हैं और पैदल यात्री खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। यही नहीं, लोखंडवाला में लोगों ने कई बार विधायक और सांसद से स्पीड ब्रेकर, ट्रैफिक सिग्नल और पुलिसकर्मियों की उपस्थिति सुनिस्छित करने की मांग की, लेकिन नतीजा वही- ‘अधिकारियों की उदासीनता’! लोखंडवाला के निवासी अब सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कार्रवाई की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन लगता है कि इस इलाके को ‘हादसों का गढ़’ बनने से रोकने के लिए कोई नहीं चाहता।
क्या यह इलाका अब प्रशासन की लापरवाही के कारण ‘लोरिस्क’ से ‘लो-हाई सिस्क’ जोन में तब्दील हो चुका है? अगर हां तो प्रशासन के लिए यह वक्त है कि लोखंडवाला को फिर से अपनी सुरक्षा का एक उदाहरण बनाए।

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