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लूट डाला, ईएमआई ने आधा एकाउंट लूट डाला! …‘नाइट फ्रैंक इंडिया’ ने ईएमआई की कमाई पर डाला प्रकाश

२०२४ में सबसे ज्यादा लोन के चक्रव्यूह में फंसे मुंबईकर

सामना संवाददाता / मुंबई
मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना आसान नहीं होता। कीमत ज्यादा और आमदनी कम। ऐसे में उसे बैंक से लोन लेकर घर खरीदना पड़ता है। पर इस घर की ईएमआई चुकाने में उसकी जान निकल जाती है क्योंकि यह ईएमआई उसे लूट लेता है। ‘नाइट प्रैंâक इंडिया’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, आम आदमी के महीने की आधी कमाई इस ईएमआई को चुकाने में चली जाती है। अब यह सोचने की बात है कि महीने में जिसका आधा एकाउंट सिर्फ ईएमआई चुकाने में चला जाता हो, वह अपने घर का खर्च वैâसे चलाता होगा?

महंगाई में होम लोन की
किश्तें भरना मुश्किल!
होम लोन की किश्तों से आम आदमी बेहाल है। ‘नाइट फ्रैंक इंडिया’ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में होम लोन की किस्तों और आय का अनुपात प्रस्तुत किया गया है। इसके मुताबिक, साल २०२१ में आम आदमी अपनी कमाई का ५२ प्रतिशत होम लोन की किश्तें चुकाने में खर्च कर रहा था। फिर २०२२ में यह बढ़कर ५३ फीसदी हो गया। इसके बाद रकम फिर कम होने लगी। पिछले साल ५१ प्रतिशत और इस साल ५० प्रतिशत आय किश्तों में जा रही है।
वित्तीय जानकारों का मानना है कि भले ही स्थिति पहले से बेहतर लग रही हो, पर बढ़ती महंगाई के कारण मुंबईकर अन्य खर्चों को देखते हुए अपनी आधी आय को होम लोन की किस्तों में फंसाने का जोखिम नहीं उठा सकते। किश्तें चुकाने में अन्य जरूरतों के साथ समझौता करना पड़ता है।

 

रेपो रेट का असर
कोरोना लॉकडाउन के दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा था। इससे कर्ज पर ब्याज दरें भी नियंत्रण में रहीं। फिर मई २०२२ में रेपो रेट बढ़ाया गया। फरवरी २०२३ से रेपो रेट स्थिर होने से बैंकों की ब्याज दरें भी स्थिर हो गर्इं।

अमीर संपत्ति बढ़ाने
के लिए लेते हैं कर्ज
देश के अमीर अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए कर्ज लेते हैं। इनमें घर, जमीन व वाहन आदि शामिल हैं। दूसरी तरफ मध्यम वर्ग घर की जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेता है। आरबीआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।

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