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सुल्तानपुर में छह दिवसीय ‘ज्ञानयज्ञ’ का श्रीगणेश…बखानी जाएगी हनुमान चालीसा व गीता के सातवें अध्याय की महिमा

विक्रम सिंह / सुल्तानपुर

सांस्कृतिक संगठन चिन्मय मिशन के छह दिवसीय ज्ञानयज्ञ का सोमवार को श्रीगणेश हो गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मचारिणी शाश्वती चैतन्य ने किया। वे ‘हनुमान चालीसा’ व श्रीमदभगवदगीता : सप्तम अध्याय विषय पर प्रवचन करेंगी। उद्घाटन सत्र में पूर्व मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ. सीबीएन त्रिपाठी मुख्य अतिथि रहे। इस अवसर पर ब्रह्मचारिणी शाश्वती चैतन्य ने बताया कि हनुमान चालीसा बजरंगबली की महिमा और भक्ति का प्रतीक है। इसमें ४० चौपाइयां होती हैं, जो हनुमान जी की शक्ति, भक्ति और गुणों का वर्णन करती हैं। यह चालीसा भगवान राम के भक्त हनुमान की महिमा बढ़ाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
श्रीमद्भगवद्गीता का सप्तम अध्याय ‘विज्ञानयोग’ या ‘ज्ञानयोग’ कहलाता है। इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को ज्ञान और भक्ति के महत्व के बारे में बताते हैं। इस अध्याय में भगवान कृष्ण कहते हैं कि, ज्ञान और भक्ति से भगवान की प्राप्ति होती है। भगवान के गुणों को जानने से भक्ति बढ़ती है। भगवान की शरण में जाने से मोक्ष प्राप्त होता है। ज्ञान और भक्ति से कर्मों का प्रभाव कम होता है। चिन्मय मिशन द्वारा इस विषय पर प्रवचन देने से श्रोताओं को आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति की प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन प्रीति प्रकाश ने किया।

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