मुख्यपृष्ठअपराधमुंबई का माफियानामा : फिल्मी तकरार में मुठभेड़ विशेषज्ञ

मुंबई का माफियानामा : फिल्मी तकरार में मुठभेड़ विशेषज्ञ

विवेक अग्रवाल

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।

उस पुलिसवाले के लिए लोग क्या-क्या नहीं कहते थे…
वो तो मुंबई के गिरोहबाजों को दिन-रात छकाता है…
एक से बढ़कर एक दुर्दांत हत्यारों को यमलोक भेजता है…
हफ्ताखोरों के लिए साक्षात काल बन गया है…
…लेकिन यही पुलिस अधिकारी फरवरी २००४ में बुरी तरह परेशान हो चला था।
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा में शान कहलाने वाले सब इंस्पेक्टर दया नायक कुछ अजीब से ही विवाद में जा फंसे। और यह विवाद था मुंबई के एक फिल्म फाइनेंसर ठाकुर भैरवानी से जुड़ा था। उनका आरोप था कि फिल्म निर्माता महेंद्र धारीवाल ने इं. दया के नाम पर सन २००२ और २००३ में दो सालों तक झूठी धमकियां देकर उनके पैसे तो नहीं ही दिए… बल्कि इस कदर मानसिक त्रास दिया कि उन्हें तमाम बीमारियां हो गर्इं।
श्री भैरवानी का दावा है कि इं. दया के नाम पर महेंद्र आर धारीवाल का सहयोगी और भागीदार फोन कर उन्हें बेटे समेत मुठभेड़ में मारने की धमकियां देते रहे। जब मामला खुल गया,तो महेंद्र धारीवाल फर्जी मामलों में उन्हें मुंगेर जेल में सड़ाने की धमकियां देने लगा।
ठाकुर भैरवानी ने ‘मां तुझे सलाम’ जैसी बड़ी फिल्म बना चुके महेंद्र धारीवाल पर इं. दया के नाम पर उन्हें व बेटे को मुठभेड़ में मारने की फर्जी धमकियां देने और बकाया तीन करोड़ रुपए छोड़ने के लिए धमकियां देने का आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज करवाया था।
श्री भैरवानी ने कहा, ‘श्री धारीवाल से मेरे काफी बरसों से कारोबारी संबंध थे। उन्हें छोटे बजट वाली फिल्म ‘प्यासी आत्मा’ के लिए मैंने पैसा दिया। वे मुझसे अच्छा व्यवहार करते रहे। विश्वास जमा कर धीरे-धीरे दो करोड़ रुपए ले लिए। उन्होंने ‘अर्जुन’, ‘देवा’, ‘गीता मेरा नाम’, ‘मां तुझे सलाम’ फिल्मों के लिए पैसा लिया था। वे मेरे नाम से वितरकों से चेक लेकर विभिन्न राज्यों में खोले फर्जी खातों में भुनाते रहे। मुझे पता ही न चला। उनके तमाम काले कारनामों की जब भनक लगी और मैंने पैसों की जिस दिन मांग शुरू की, बस वही दिन मेरे लिए खौफ का पहला दिन बन गया।’ श्री भैरवानी वह रात याद कर बुरी तरह घबराते हैं, जब तथाकथित इं. दया का फोन आया। फोन पर धमकी मिली कि दो करोड़ रुपए मांगने का खयाल मन से नहीं निकाला तो उन्हें व बेटे को मुठभेड़ में मार देंगे।
‘यह सुनते ही हाथ-पांव ठंडे हो गए, दिमाग सुन्न पड़ गया। मैं बुरी तरह कांपने लगा। मुझे धमकी दी होती तो ठीक था, मेरे बेटे को लेकर ऐसी धमकी मिली तो कोई विकल्प न बचा। मैं दो माह तक महेंद्र धारीवाल से बात करने का साहस नहीं जुटा पाया। जब पैसों की जरूरत लगी तो फिर महेंद्र धारीवाल से मांगे। उसी रात तथाकथित इं. दया का धमकी वाला फोन आ गया। अब तो हर उस रात यह होने लगा, जिस सुबह या दोपहर मैं श्री धारीवाल से पैसे मांगता।’ श्री भैरवानी बताते हैं। श्री भैरवानी बताते हैं कि सनी देओल और तब्बू अभिनीत फिल्म ‘मां तुझे सलाम’ ने अच्छा कारोबार किया। लगभग तीन करोड़ रुपए श्री धारीवाल ने कमाए, लेकिन उन्हें पैसा न दिया। श्री धारीवाल कहते रहे कि फिल्म में नुकसान हुआ है, जबकि कारोबार अच्छा हुआ था। श्री धारीवाल ने भारी घाटे के बावजूद ‘द बैचलर’, ‘नहले पर दहला’ और ‘फरेबी – द चीटर’ जैसी फिल्मों का निर्माण भी शुरू किया। जब पैसों की मांग होती तो कहते कि इनके प्रदर्शन के बाद देंगे।
फर्जी दया नायक से धमकियां दिलवाने की बात वैâसे पता चली?
श्री भैरवानी ने बताया कि धमकी देने वाले की आवाज बार-बार बदलती थी। मैंने धमकियां रिकॉर्ड की। उन्हें बार-बार सुनने से साफ हुआ कि धमकाने वाला एक व्यक्ति नहीं है। इस खेल में श्री धारीवाल का एक साथी व भागीदार भी शामिल है। श्री भैरवानी ने खार पुलिस में ६ जनवरी २००४ को रपट (नंबर २/०४) दर्ज करवा दी। श्री धारीवाल ने कहा कि वे धमकियां नहीं दे रहे थे। खुद दया नायक बात कर रहे थे। यह जानकारी श्री नायक को मिली तो वे परेशान हो गए। उन्होंने श्री भैरवानी और श्री धारीवाल को लोखंडवाला के होटल कलिंगा में फरवरी २००४ के पहले सप्ताह में एक रात बुलाया। महेंद्र तो इं. दया को पहचान भी नहीं पाया। भीड़ भरे होटल में हंगामा खड़ा हो गया।
एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, इं. दया ने श्री धारीवाल को उनका लेकर किसी को धमकाने के मामले को गंभीरता से लेने और उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। श्री धारीवाल बुरी तरह घबराए। सफाई में बातें बनाते रहे कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा है।
जब इं. दया ने बताया कि कुछ पत्रकारों ने ये बात बताई है, तो श्री धारीवाल की हालत खस्ता हो गई। वे चुपचाप बिना कुछ कहे भाग निकले। श्री धारीवाल ने प्रतिदावा किया कि श्री भैरवानी ने ‘मां तुझे सलाम’ फिल्म के बनाते समय गुंडें भेजकर अपहरण किया। लगभग ९० लाख रुपए कर्ज के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए। वे पहले मेरी फिल्म कंपनी के भागीदार थे। उनकी गुंडागर्दी देख कारोबार से निकाल दिया। श्री भैरवानी की हरकतों के खिलाफ ओशिवारा थाने में रपट भी दर्ज करवाई। हफ्तावसूली, मारपीट, अपहरण, धमकियां देना श्री भैरवानी के काम हैं। उन्हें श्री भैरवानी से हत्या की आशंका है, जिसके कारण श्री धारीवाल ने पुलिस सुरक्षा मांगी ,लेकिन मिली नहीं। वे दावा करते हैं कि श्री भैरवानी के इशारे पर विदेशों से धमकी भरे फोन आते रहे हैं।
ये मामला अदालत के साथ पुलिस के पास भी चलता रहा। दोनों पक्षों में खूब रस्साकशी चली, लेकिन ठाकुर भैरवानी को पैसे कभी न मिले।
इस मामले पर खबरी का जुमला आया:
– खाया-पिया कुछ नर्इं, गिलास फोड़ा बारा आना।

(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

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