सामना संवाददाता / मुंबई
कुछ वर्षों से उच्च रक्तचाप और दिल के दौरे से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसलिए मेडिकल क्षेत्र के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी, मुंबई) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि चुंबक की मदद से धमनियों में रक्त के प्रवाह और रक्तचाप को नियंत्रित करने से मृत्यु को रोका जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने धमनी का एक संख्यात्मक मॉडल बनाया और संकुचित धमनियों पर चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गणितीय समीकरणों का उपयोग किया। चुंबकीय क्षेत्र रक्त में हीमोग्लोबिन युक्त आयरन पर कार्य करता है। रक्त प्रवाह चुंबकीय क्षेत्र की दिशा से प्रभावित होता है। शोधकर्ताओं ने रक्त गति को मापा, विद्युत चुंबकीय क्षेत्र का विश्लेषण किया और रक्त की चिपचिपाहट या प्रवाह का परीक्षण किया। शोधकर्ताओं ने विभिन्न चरणों और आकारों में संकुचित धमनियों के प्रोटोटाइप बनाए। इनमें हल्की २५ प्रतिशत अवरुद्ध, मध्यम ३५ प्रतिशत अवरुद्ध और गंभीर/अति गंभीर ५० प्रतिशत अवरुद्ध धमनियां शामिल थीं।
कम हो जाता है दबाव
जब शोधकर्ताओं ने रक्त प्रवाह के समानांतर एक चुंबकीय क्षेत्र लगाया तो रक्त प्रवाह की गति बढ़ गई। इसके अलावा जब रक्त प्रवाह के समकोण पर चुंबकीय क्षेत्र लगाया गया तो रक्त प्रवाह दर कम हो गई। कंप्यूटर सिमुलेशन से पता चला कि चुंबकीय क्षेत्र ने हल्के, मध्यम और गंभीर रूप से अवरुद्ध धमनियों में रक्त के प्रवाह को क्रमश: १७ प्रतिशत, ३० प्रतिशत और ६० प्रतिशत तक बढ़ा दिया। यदि चुंबकीय क्षेत्र रक्त प्रवाह की दिशा में है तो गंभीर रूप से संकुचित धमनी में रुकावट के पास दबाव कम हो जाता है।