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महाराष्ट्र को बनाना है `दारूराष्ट्र’! …कांग्रेस ने की मांग-दावोस से लाए गए निवेश पर श्वेतपत्र जारी करे सरकार

सामना संवाददाता / मुंबई
दावोस में मुख्यमंत्री ने जिन कंपनियों से करार किए हैं, उनमें शराब बनानेवाली हेनिकेन कंपनी का भी समावेश है। उससे ७५० करोड़ रुपए का समझौता हुआ है, वहीं एबी इन बेव नामक एक अन्य बीयर निर्माता कंपनी के साथ १,५०० करोड़ रुपए का समझौता किया है। भारत के संविधान के राज्य नीति सिद्धांतों (डीपीएसपी) के तहत अनुच्छेद ४७ में कहा गया है कि राज्य बिना चिकित्सीय कारणों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय और दवाओं के सेवन को रोकने का प्रयास करेगा। लेकिन महायुति सरकार शराब कंपनियों के साथ समझौता करके महाराष्ट्र को `दारूराष्ट्र’ में बदलने जा रही है। इस तरह का जोरदार हमला करते हुए कांग्रेस के प्रांत अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि दावोस से लाए गए निवेशों पर सरकार को श्वेतपत्र जारी करना चाहिए।
तिलक भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष पटोले ने कहा कि दावोस में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा ६१ कंपनियों के साथ समझौता हुआ है। इसमें से ५१ कंपनियां हिंदुस्थान की हैं। इतना ही नहीं अकेले ४३ कंपनियां मुंबई-पुणे में स्थित हैं। कुछ कंपनियों के कार्यालय मंत्रालय से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं, सिर्फ दस कंपनियां विदेशी हैं। सिडको और बुक माई शो के बीच दावोस में १,५०० करोड़ रुपए के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
पटोले ने कहा कि मुंबई पुलिस कोल्ड प्ले टिकटों की बिक्री की कालाबाजारी के मामले में बुक माई शो की जांच कर रही है। फर्जी दस्तावेज बनाकर पवई के जयभीम नगर को उजाड़ने के मामले में जिस हीरानंदानी कंपनी की जांच चल रही है, उससे भी सरकार ने समझौता किया है। साथ ही इस कंपनी द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि के गबन के मामले में भी सीबीआई जांच चल रही है।
पटोले ने सवाल किया कि क्या सरकार आपराधिक कंपनियों के साथ समझौते कर रही है और उन्हें कालाबाजारी का लाइसेंस दे रही है? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि दावोस में ६१ कंपनियों के साथ हुए समझौते से १५.७० लाख करोड़ का निवेश और १५.९५ लाख नौकरियां पैदा होंगी। राज्य में बड़े निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन लोगों को यह जानने का अधिकार है कि समझौता क्या है और वास्तविक स्थिति क्या है।

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