सामना संवाददाता / मुंबई
कहते हैं कि रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था। यही हालत इन दिनों राज्य की महायुति सरकार की है। पिछले ढाई महीनों से महाराष्ट्र जल रहा है, लेकिन सरकार केवल राजनीति करने के सिवाय कुछ नहीं कर रही है। यही कारण है कि राज्य में हिंसा और सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़ रही हैं। अपराधियों में कानून व्यवस्था का कोई डर नहीं रहा। अपराधियों को सत्ता में बैठे तथाकथित नेताओं का संरक्षण प्राप्त है इसीलिए वे बेखौफ आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
बता दें कि इस साल जनवरी से अब तक सांप्रदायिक तनाव की ८२३ घटनाएं सामने आई हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। अधिकारियों ने बताया कि इन घटनाओं में नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा भी शामिल हैं। नागपुर में १७ मार्च को पथराव और आगजनी की घटना हुई थी।
छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान पवित्र पुस्तक की पंक्तियां लिखी चादर जलाए जाने की अफवाह पैâलने के बाद हिंसक भीड़ ने १७ मार्च को नागपुर के कई इलाकों में पथराव और आगजनी की, जिसमें अधिकारी समेत ३३ पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
हाल के दिनों में छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को गिराने की दक्षिणपंथी संगठनों की मांग को लेकर नंदुरबार, पुणे ग्रामीण, रत्नागिरी, सांगली, बीड और सातारा जिलों के अलावा अन्य क्षेत्रों में सांप्रदायिक अशांति देखी गई। एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र में हुए सांप्रदायिक तनाव के संबंध में विभिन्न पुलिस थानों में जनवरी में कुल १५६ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि फरवरी में इस संबंध में ९९ और मार्च के मध्य तक ७८ मामले दर्ज किए गए थे।
साल २०२४ में ४,८३६ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं
उन्होंने बताया कि धार्मिक कारणों से हुए १०२ मामलों को संज्ञेय अपराध के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। साल २०२४ में ४,८३६ सांप्रदायिक अपराध की घटनाएं पुलिस के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में साल २०२४ में हिंदू-मुस्लिम से संबंधित ४,८३६ सांप्रदायिक अपराध की घटनाएं हुर्इं, जिनमें से १७० घटनाएं संज्ञेय थीं और ३,१०६ गैर-संज्ञेय मामले थे। अधिकारी ने बताया कि इन मामलों में से ३७१ ऐसी घटनाएं हुर्इं, जो धार्मिक अपमान से संबंधित थीं।