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महावितरण की मनमानी : मीटर स्थाई रूप से बंद, फिर भी पुनर्संयोजन शुल्क वसूला!

सामना संवाददाता / बदलापुर

महावितरण की कार्यप्रणाली में कितनी मनमानी और लापरवाही है, इसका ताजा उदाहरण बदलापुर में सामने आया है। एक उपभोक्ता से पुनर्संयोजन शुल्क वसूला गया, जबकि उसका मीटर पहले ही स्थाई रूप से बंद किया जा चुका था। बदलापुर-पश्चिम के हेंद्रेपाडा में रहने वाली माधुरी शिंदे का मकान बदलापुर-पूर्व में स्थित है, जहां पिछले साल 15 मार्च को बकाया बिल के कारण महावितरण ने बिजली कनेक्शन काट दिया था। इसके बाद 17 मार्च को उन्होंने दंड सहित बकाया बिल का भुगतान किया और 10 अप्रैल को 310 रुपए का पुनर्संयोजन शुल्क भी जमा कर दिया, मगर हैरानी की बात यह है कि साल भर बीतने के बाद भी उनका मीटर चालू नहीं हुआ।

जब माधुरी शिंदे ने महावितरण कार्यालय में शिकायत की, तो जवाब मिला कि उनका मीटर स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है और अब नया मीटर लगवाना होगा। सवाल यह उठता है कि जब मीटर स्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, तो पुनर्संयोजन शुल्क किस आधार पर लिया गया? क्या महावितरण को सिर्फ पैसे वसूलने से मतलब है, बिना सेवा दिए भी शुल्क लेने का नया तरीका खोज लिया गया है? यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि महावितरण की मनमानी का उदाहरण है। उपभोक्ता को न तो मीटर बंद किए जाने की सूचना दी गई, न ही नए मीटर की आवश्यकता के बारे में बताया गया। अब जब मामला उजागर हुआ है, तो महावितरण के अधिकारी मामले की जांच और कार्रवाई की बात कर रहे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या उपभोक्ता को बिना किसी गलती के इस तरह ठगा जाना उचित है?

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