मुख्यपृष्ठनए समाचारमहायुति सरकार का महाजुमलेबाज बजट ...शिक्षा और स्वास्थ्य को मिला चिल्लर

महायुति सरकार का महाजुमलेबाज बजट …शिक्षा और स्वास्थ्य को मिला चिल्लर

-कुल बजट का मिला सिर्फ १.८५ फीसदी राशि
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार ने पहला पूर्ण बजट कल विधानमंडल में पेश किया। इस बजट को उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीतदादा पवार ने भले ही बड़े जोश के साथ पेश किया, लेकिन मुंबई समेत महाराष्ट्र की जनता के लिए पूरी तरह से निराशाजनक और महाजुमलेबाज साबित हुआ है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य की अहमियत को समझाया था। इसके बावजूद महायुति सरकार ने इस बजट में न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही शिक्षा विभाग को खास अहमियत दी है। दोनों ही विभागों के लिए १९९९५ करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है, जो कुल बजट का महज १.८५ फीसदी ही है। सबसे कम २५७४ करोड़ रुपए चिकित्सा शिक्षा विभाग को मिला है। कुल मिलाकर महायुति सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग को चिल्लर देने का काम किया है।
विधानमंडल में वर्ष २०२५-२६ का बजट पेश किया गया। इस बजट में स्वास्थ्य विभाग के लिए ३८२७ करोड़, उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के लिए ३०९८, चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए २५७४ और स्कूल शिक्षा विभाग के लिए ३४९६ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बजटीय भाषण में उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीत पवार ने कहा कि पांच किमी के बीच उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही ठाणे में २०० बेड, रत्नागिरी में १०० बेड रायगढ़ जिले में २०० बेड के अस्पताल बनाए जाएंगे। इन विभागों के लिए किए गए प्रावधान नाकाफी हैं।

बढ़ सकती हैं समस्याएं
जानकारों का कहना है कि बजट में शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए फंड की कमी से समस्याएं बढ़ सकती हैं। इससे मरीजों का हाल बेहाल होने की संभावना है, क्योंकि अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में फंड की कमी से उन्हें समुचित सुविधाएं नहीं मिलेंगी। इसके अलावा छात्रों की शिक्षा पर भी असर पड़ सकती है।

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