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महायुति सरकार का खजाना हुआ खाली, निजी मेडिकल कॉलेजों की रोकी अनुदान …कॉलेजों ने एडमिशन रोकने का किया फैसला


– मेडिकल छात्रों पर पड़ेगा सीधा असर

सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार का खजाना खाली हो चुका है, जिसे कई मदों के जरिए भरने की कोशिश की जा रही है। खजाना खाली होने से सरकार ने महाराष्ट्र के कई निजी मेडिकल कॉलेजों के सैकड़ों करोड़ रुपयों की अनुदान को रोक दिया है। ऐसे में निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेज प्रबंधन एसोसिएशन ने एमबीबीएस के दूसरे चरण के एडमिशन को रोकने का पैâसला किया है। इस बारे में मेडिकल के छात्रों का कहना है कि इसका सीधा असर उन पर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में ४० से अधिक गैर सहायता प्राप्त निजी मेडिकल कॉलेजों का प्रतिनिधित्व करनेवाले एएमयूपीएमडीसी ने सितंबर के आखिरी चरण सप्ताह में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में फीस प्रतिपूर्ति के लंबित रहने पर प्रकाश डाला गया था, क्योंकि प्रतिपूर्ति रोके जाने से इन कॉलेजों के कामकाज प्रभावित हो रहे थे। हालांकि, बैठक में इस मुद्दे को हल करने पर उचित पैâसला नहीं लिया गया। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव और राज्य सीईटी आयुक्त को लिखे अपने पत्र में एसोसिएशन ने कहा कि राज्य सरकार के साथ बैठकों के बावजूद कोई मांग पूरी नहीं की गई। ऐसे में कॉलेजों को प्रवेश प्रक्रिया स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। एसोसिएशन के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि राज्य सरकार से फीस की प्रतिपूर्ति का मामला लंबे समय से लंबित है, लेकिन हाल के पैâसलों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। सरकार ने हमें प्रवेश शुल्क लेने से मना कर दिया था। इसके बजाय वह हमें शुल्क वापस देनेवाली है। सरकार ने घोषणा की है कि सभी छात्राओं को मुफ्त में उच्च शिक्षा मिलेगी, जिसका मतलब है कि हर छात्रा की फीस राज्य सरकार से आएगी। एसोसिएशन ने कहा है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और अधिकारियों के बीच बैठक के बावजूद सरकार ने फीस प्रतिपूर्ति पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

एसोसिएशन के मुताबिक, चिकित्सा शिक्षा की उच्च लागत को देखते हुए कॉलेज पूरी तरह से राज्य सरकार पर निर्भर हैं। इसके अलावा ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए छह महीने का विस्तार दिए जाने से और भी समस्याएं पैदा हो गई हैं। इस कारण फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में सीटें रिक्त हो जाती हैं और सरकार की ओर से अगली कार्रवाई के बारे में कोई स्पष्टता नहीं होती है।
समस्या बन गई है आठ लाख रुपए की सीमा हटाना
एसोसिएशन का कहना है कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आठ लाख रुपए की सीमा को हटाना भी निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए एक समस्या बन गई है। पहले की प्रक्रिया के अनुसार, कॉलेज छात्रों से फीस लेते थे और सरकार छात्रों को इसकी प्रतिपूर्ति करती थी, लेकिन अब हमें उन छात्रों से पैसे न लेने के लिए कहा गया है, जो फीस प्रतिपूर्ति का लाभ ले रहे हैं। इसका मतलब है कि हम राज्य सरकार की दया पर हैं और हमारा सैकड़ों करोड़ से अधिक का भुगतान रुक गया है।
नहीं लिया ठोस निर्णय
एसोसिएशन ने कहा है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और अधिकारियों के बीच बैठक के बावजूद सरकार ने फीस प्रतिपूर्ति पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। इसने हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।

 

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