धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
ढाई सालों तक शिंदे सरकार और अब फडणवीस सरकार के शासन में राज्य दिवालिया होता जा रहा है। गलत नीतियों और खर्चीली योजनाओं को क्रियान्वित करके महायुति एक तरह से महाराष्ट्र को डुबोने का काम कर रही है। इस वजह से राज्य की मौजूदा स्थिति बहुत ही विकट स्थिति में है। कृषि, उद्योग और आय पर खतरा मंडरा रहा है। राज्य पर इतना ज्यादा कर्ज है कि सरकार के ५६ हजार करोड़ रुपए तो सिर्फ ब्याज में ही चले जाएंगे। ऐसे में लोग यही पूछ रहे हैं कि फिर ये सरकार विकास वैâसे करेगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष २०२४-२५ के बजटीय अनुमानों के अनुसार, राज्य पर ७ लाख ८२ हजार ९९१ करोड़ रुपए का कर्ज है, जो राज्य की जीडीपी का १७.३ फीसदी है। इस पर ब्याज के रूप में ५६ हजार ७२६ करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा। राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज पर राज्य सरकार ने गारंटी दी है।
राज्य में उद्योग का ग्राफ गिरा!
नंदुरबार के लोगों की कमाई सबसे कम
राज्य पर कर्ज का भारी बोझ है और इसके लिए सरकार मोटा ब्याज चुका रही है। उद्योग क्षेत्र का हिस्सा ३५.८० फीसदी से घटकर २५ फीसदी हो गया है। दूसरी ओर सेवा क्षेत्र का हिस्सा ५१.१० फीसदी से बढ़कर ६३.८० फीसदी हो गया है। वर्ष २०२३-२४ में मुंबई जिले की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक ४ लाख ५५ हजार ७६७ रुपए है, जबकि नंदुरबार जिले की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम १ लाख २९ हजार १४६ रुपए है। दोनों जिलों के बीच प्रति व्यक्ति आय का अंतर ३ लाख २६ हजार ६२१ रुपए यानी ७१.६६ फीसदी है।
यूपी-बिहार पर मेहरबान केंद्र
वर्ष २०२३-२४ के संशोधित अनुमानों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों को १९ लाख ९२ हजार ३३० करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे, जिसमें से महाराष्ट्र को १ लाख ५१ हजार ५६९ करोड़ रुपए यानी ७.६० फीसदी ही मिलेंगे। इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक ३ लाख २१ हजार ३३१ करोड़ रुपए यानी १६.१० फीसदी और बिहार को १ लाख ६९ हजार ४४५ करोड़ रुपए यानी ८.५ फीसदी मिलेंगे।
पांचवें स्थान पर पहुंचा महाराष्ट्र
वर्ष २०२४-२५ में प्रति व्यक्ति राज्य आय ३ लाख ९ हजार ३४० करोड़ रुपए अनुमानित है। वर्ष २०२३-२४ में महाराष्ट्र प्रति व्यक्ति आय के मामले में पांचवें स्थान पर है। ३,५६,५६४ रुपए प्रति व्यक्ति आय के साथ पहले स्थान पर तेलंगाना, ३,३२,९२६ रुपए के साथ दूसरे स्थान पर कर्नाटक, ३,१५,२२० रुपए के साथ तीसरे पर तमिलनाडु, २,९७,७२२ रुपए के साथ चौथे पर गुजरात और २,७८,६८१ रुपए के साथ पांचवें पर महाराष्ट्र है।
सरकारी कार्यालयों में ३४ फीसदी पद हैं खाली
एक जुलाई २०२३ तक स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं और महामंडलों को छोड़कर राज्य के अन्य सरकारी कार्यालयों में सभी श्रेणियों में कुल ७ लाख २४ हजार २६ पद मंजूर हैं, जिनमें से ६६ फीसदी यानी ४ लाख ७८ हजार ८२ पद भरे गए हैं, लेकिन अभी भी ३४ फीसदी यानी २ लाख ४५ हजार ९४४ पद खाली हैं।