मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामैथिली व्यंग्य : कर्तव्यक अधिकारी

मैथिली व्यंग्य : कर्तव्यक अधिकारी

डॉ. ममता शशि झा मुंबई

नीलिमा बहुत मनोयोग से अपन पिता रामचंद्र के सेवा करइ छलखिन। नीलिमा के पांच टा भाई छलखिन, सब उच्च पद पर आसिन छलखिन, अलग-अलग जगह पर, मुदा नीलिमा अपन मां-बाबूजी लग रहइ छलि, हुनकर सबके देखभाल कर लेल, आ इ अपन कर्तव्य बुझइ छलखिन। सब भाई नीलिमा के बड़ बड़ाई करइ छलखिन, आ नीलिमा अहि में अपना-आप के बहुत भाग्यशाली बुझइ छलि। अपन प्रशंसा सुनि के आर मनोयोग से सेवा में लागि जाइ छलि। हुनको पति नीक पद पर कार्यरत छलखिन, बच्चा सब के हॉस्टल में पढ़ लेल पठा देने रहथिन, ताकि मां-बाबूजी के सेवा के सकथि। सब भाई अपन बाल-बच्चा के संगे रहइ छला। जहन बाबूजी के मोन बेसि खराब भ गेलनि, त सोचलनि जे बेटा सब के बजा के सम्पत्ति के मामला के सुलझा लइ छी, जे जहां छइ सबहक जानकारी पांचों बेटा के द दइ छियनि, हमरा चल गेला के बाद बटेदार सब के जानकारी सब के रहबाक चाही। पांचों बेटा आ पुतहु जहन इ बुझलखिन जे संपत्ति के बात छइ त सब गोटे के छुट्टी आ फुर्सत तुरंत भेट गेलनि। सब गोटे जमा भेलखिन आ जहन सबटा गाछी, पोखरि, जमीन आ लगानी के गप्प होअ लगलइ त ओत नीलिमा के उपस्थिति के अनावश्यक मानल गेलनि। सब बिपति में नीलिमा के पति के सब स पहिने फोन जाय छलनि, मुदा अहि बेर नीलिमा के मां-बाबूजी के जमाए मोन नहि पड़लखिन। नीलिमा के बड़की भौजी कहलखिन जे सब बेटा के सब बात के जानकारी देब के संगे-संग, संपत्ति जँ नाम पर क दितथिन ते बढ़ियां होइतइ, सब बेटा अपना अपना हिसाब से ओकर देखभाल करथिन। नीलिमा के बाबूजी के बात उचित लगलनि। कहलखिन, काल्ही वकील के बजा लइ छियनी। छोटकी पुतहु कहलखिन जे गहना-गुड़िया छनि तकरो ज येखने बांटी दितियइ त बढ़िया भ जइतइ।
नीलिमा के मां गहना के बड़का बक्सा आनि क सबहक सोझा में राखि देलखिन, बक्सा खुजिते एकटा चांदी के पुरान कंगन, जकर डिजाइन बड़ एंटीक छलइ, आ नीलिमा के एंटीक वस्तु से विशेष लगाव छलनि, नीलिमा कहलखिन ‘इ हमरा चाही।’
नीलिमा के बाबूजी के तुरंत प्रतिक्रिया भेलनी ‘इ खानदानी कंगन छइ, अहि खानदान में रहतइ!!’
नीलिमा मोने-मोन बुझी गेलि जे बेटी सिर्फ कर्तव्य काल में पिता के खानदान के रहइ छइ, अधिकार काल में सिर्फ बेटा!!!

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