मुख्यपृष्ठस्तंभमैथिली व्यंग्य : प्रयोजन

मैथिली व्यंग्य : प्रयोजन

डॉ. ममता शशि झा मुंबई

रूबी ऑफिस के लेल तैयार होए छलि तहने हुनका अनुपस्थिति में घरक भार सम्हार बाली रीमा एलखिन ‘आइ कि बात छइ दीदी बड़ नीक जॉका पहिर-ओढि क ऑफिस जा रहल छी, आन दिन त हबर-हबर जलखइ करइत तैयार होइ छी, आ बेसी काल त समय के अभाव में सातु पी क चलि जाइ छि।’
‘आइ ऑफिस में महिला दिनक आयोजन कायल गेल छइ, ओहि ठाम सभक लेल जलपान और भोजन के व्यवस्था छइ’ रूबी सारी के आँचर में पिन लगबइत बजलि।
रीमा ‘पछिला साल अहाँ सबके अहि आयोजन में समान अधिकार आ समान वेतन देबके वायदा अहाँ के कंपनी के मालिक केने छला से पूरा भेल?’
रूबी ‘ओहि पर चर्चा करे के लेल समिति के गठन मैनेजमेंट बला सब क देलखिन जाहि में दू टा स्त्री आ दू टा पुरुख के सदस्य बना क विचार कर के भार द देने छथिन, रिपोर्ट पर रिपोर्ट, चर्चा पर चर्चा भ रहल छइ, हुनकर चारु के ऑफिस के जे रोज के छलनि ओहि काज के भार हमरे सब पर देल गेल अछी।’
‘अहाँ सब कियेक नहि कहइ छियनि जे फैसला भेल के बाद हम सब काज करब’ रीमा पूछलखिन।
रूबी ‘ओहो सब बुझइ छथिन जे येखन धरि स्त्री के कोनो अधिकारे नहि भेटलइया त समान अधिकार के बात पर इ सब की अड़ती, आखिर कंपनी के मालिक के घरो में त स्त्री छथिन ने।’
रीमा ‘सही कहलियइ त अहि तरह आयोजनक कोन प्रयोजन?’
रूबी ‘अहि तरह के आयोजन कयला से हुनकर सभक दू टा प्रयोजन एक संगे पूरा होइ छनि, पहिल त अपन घर के स्त्री सबके ऑफिस में पद देने छथिन, अपना के प्रोग्रेसिव देखब लेल हुनका सबके संगे-संग ऑफिस के हर महिला के सम्मानित के के ओ सब इ देखबइ छथिन जे अहि ऑफिस में कार्यरत सब महिला हमर परिवार के सदस्य जकां छथिन।
‘आ दोसर?’ रीमा पूछलखिन।
‘कंपनी लग एकटा फंड रहइ छइ जकरा सीएसआर माने कॉरपोरेट सोशियल फंड कहल जाइ छइ, जे सबटा कंपनी के आपन मुनाफा के दस प्रतिशत राखहे पड़इ छइ, जकर उपयोग समाज के उन्नति के लेल करबाक रहइ छइ। अहि कार्यक्रम में ओ किछु शिक्षित आ किछु वंचित महिला के बजा के सम्मानित करइ छथिन, आ ओहि नाम पर फंड आसानी से रीलिज भ जाए छनि, अपना जेबी स किछु जेबो नहि करइ छनि, कनीमनी खर्च के के सबटा पाइ अपने लग रहि जाइ छनि।’ रूबी ऑफिस लेल बिदा होइत बजलि।

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