मुख्यपृष्ठस्तंभमैथिली व्यंग्य : टैक्सक चकरघिन्नी

मैथिली व्यंग्य : टैक्सक चकरघिन्नी

डॉ. ममता शशि झा
मुंबई

बजट पर अपन पिता राजन आ माय सुनीति के चर्चा करइत सुनि के रासु जे सातमी क्लास में पढ़इ छलि, जिज्ञासा सँ अपन पिता सँ पुछलखिन, ‘सरकार टैक्स किया लइ छइ?’
राजन, ‘शिक्षा, स्वास्थ, सड़क, परिवहन अहि सब के मूलभूत सुविधा जनता के देब लेल।’
सुनिति व्यंग सँ ‘शिक्षा?’ सरकारी स्कूल के हालत जानि बुझी के येतेक खराब के देल गेल छइ जे अहाँ चाहितो अपन बच्चा के ओहि में पढ़ा नहिं सकइ छी, कियेक त बड़का-बड़का नेता आ उद्योगपति सब अपन प्राइवेट स्कूल खोलि के रखने छथि, से कोना चलतनि!!
‘स्वास्थ?’ सरकारी अस्पताल के बदहाल स्थिति में रखने छइ आ जाहि में बेसीकाल डॉक्टर सब हड़ताल केने रहइ छइ, आ दबाई तक मरीज के बाहर स आन पड़इ छइ, आ सरकारी अस्पताल में काज कर बला सब एतेक अभद्र व्यवहार रहइ छइ जेना ओ सब उपकार के रहल छइ, बीमार व्यक्ति मानसिक रूप से और संत्रस्त भ जाए छइ।
‘सड़क?’ जगह-जगह टूटल, बड़का-बड़का गड्ढा बला, जाहि पर कतेको लोक सब दुर्घटना के कारण स्वर्ग लोक पहुंच जाय छथि, मुद्दा उठेला पर ओहि गड्ढा के कनि कोंक्रिट सँ भरि देल जाय छइ, जेना चिपरी पाथल होय, जे पानि पड़ला पर और खतरनाक भ जाइ छइ। आ जे नबका हाईवे बनल अछी ताहि पर जतेक बेर आऊ-जाऊ, ओतेक बेर टोल टैक्स भरू। जकरा बनाब में जनता के पाई लागल छइ, आ जाहि के उपयोग कर में ओहि जनता के फेरो टैक्स देब पड़इ छइ। ओकर ठेका कोनो बड़का उद्योगपति, नेता या कोनो गुंडागर्दी कर बला के द देल जाइ छइ, जे ओकर कमाई के जरिया भ जाइ छइ, आ जाहि पर कोनो नेता के आ बड़का ऑफिसर के गाड़ी लेल कोनो टोल टैक्स नहिं रहइ छइ। सुविधा के नाम पर टैक्स देब बला के सबटा असुविधा। रासु ‘ठीक से कहु मॉम जे अहाँ कतेक टैक्स दइ छियइ जे एतेक खौंजाय छियइ?’
सुनिति ‘३० प्रतिशत।’ रासु ‘माने!’
सुनिति ‘माने १०० रुपया जँ दरमाहा अछी ते असली में ७० रुपया भेटत।’ आ ओहो में से हम जे किछु खरीदबइ ओहि समान पर टैक्स देबइ, कोनो सुविधा के उपयोग करबइ त सर्विस टैक्स आ मनोरंजन पर एंटरटेनमेंट टैक्स, आ जँ ओहि पाई में से किछु पाइ जमा करबइ त ओहि पर फेर इनकम टैक्स!! माने एक बेर अपन कमाइ में से टैक्स द देला के बादो हर चीज पर टैक्स!! रासु के मोन अहि टैक्स के चकरघिन्नी से चकरा गेल छलनि!!

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