मुख्यपृष्ठसंपादकीयइनको भी बैठे बिठाए मिल गई ‘राष्ट्रवादी'!

इनको भी बैठे बिठाए मिल गई ‘राष्ट्रवादी’!

शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को लेकर भारत का चुनाव आयोग कोई ईमानदार फैसला लेगा, इसकी कोई संभावना नहीं थी। क्योंकि चुनाव आयोग अब ‘भारत’ का नहीं बल्कि मोदी-शाह का हो गया है। अगर ऐसी संवैधानिक संस्थाओं के गले में तानाशाह के पट्टे बंधे हों तो उनसे न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? इसलिए इस बात पर आश्चर्य या खेद का कोई कारण नहीं है कि जिस राष्ट्रवादी पार्टी को शरद पवार ने बड़ी मेहनत से खड़ा किया था, उसकी कमान चुनाव आयोग ने उन्हीं की पार्टी से अलग होकर बने मुफ्तखोर अजीत पवार को सौंप दी है। इसी तरह से हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई शिवसेना की कमान ‘मुफ्तखोर’ एकनाथ शिंदे को सौंप दी गई। यानी आप बेईमानी और भ्रष्टाचार करके भाजपा के पाले में आ जाओ, हम आपकी ‘पार्टी’ आपको सौंप देते हैं, यही ‘मोदी गारंटी’ है और यही लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मोदी-शाह ने आलोचना की थी कि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी एक ‘नेशनलिस्ट करप्ट पार्टी’ है। वही तथाकथित ‘करप्ट’ पार्टी मोदी-शाह की गारंटी पर अजीत पवार को सौंप दी गई। दुनिया में एक और बड़ा आश्चर्य यह है कि अजीत पवार के ७० हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का बम खुद प्रधानमंत्री मोदी ने फोड़ा था। उन्हीं अजीत पवार को ‘राष्ट्रवादी’ और चुनाव चिह्न घड़ी मिलते ही मोदी-शाह-फडणवीस-बावनकुले आदि भाजपाई कुनबों ने अजीत पवार को बधाई दी और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया। इससे बड़ा पाखंड और वैचारिक व्यभिचार क्या है? यह तय है कि ‘शिवसेना’, ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस’ जैसी महाराष्ट्र की अस्मिता को कायम रखने वाले मराठी लोगों की पार्टियों को तोड़कर महाराष्ट्र के स्वाभिमान को बर्बाद करने की गारंटी मोदी-शाह की राजनीति ने दी है। विधानमंडल का बल यानी असली राजनीतिक दल नहीं, विधानमंडल में पार्टी अलग है और पार्टी संगठन अलग है, ‘शिवसेना’ मामले में सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणी के बावजूद चुनाव आयोग ने लोकतंत्र की पीठ पर छुरा घोंपा और अब लोकतंत्र और संविधान की पूरी तरह से हत्या करने के लिए ये सभी मामले विधान सभा अध्यक्ष को सौंपे जाएंगे। शिंदे को शिवसेना और अजीत पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस देकर भाजपा वाले अपना क्या राजनीतिक स्वार्थ साधने वाले हैं? इन लोगों ने महाराष्ट्रीय जनता को मूर्ख समझ रखा है क्या? जहां ‘ठाकरे’ हैं, वहां शिवसेना है और जहां ‘शरद पवार’, वहां राष्ट्रवादी कांग्रेस, यही महाराष्ट्रीय जनता की मानसिकता है। अब महाराष्ट्र में लोकसभा की ४२ से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य अमित शाह ने रखा है। देशभर में वह ४०० का आंकड़ा पार करने वाले हैं। इस पर राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने जवाब दिया है, ‘आप सटीक आंकड़ा बता रहे हैं इसका मतलब है कि ‘ईवीएम’ को उसी तरह से सेट किया गया है।’ ये देश में लोकतंत्र के दशावतार हैं। जब चुनाव आयोग, संसद, अदालतें, ईवीएम सब एक या दो व्यक्तियों के हाथ में हों तो यह मंडली महाराष्ट्र में लोकसभा की ४८ सीटें ही क्या, १४८ सीटें और देश में ७०० सीटें आसानी से जीत सकती है! श्रीमान मोदी संसद के अंदर और बाहर निरर्थक भाषण देते हैं और उनके अंधभक्त तालियां बजाते हैं। इन्हीं तालियां बजाने वालों के कारण देश पर कभी मुगलों का शासन रहा तो कभी अंग्रेजों का, लेकिन उसी दौरान छत्रपति शिवराय, संभाजी महाराज, भगत सिंह, राजगुरु, सावरकर का जन्म हुआ और देश के साथ अन्याय करनेवालों की धज्जियां उड़ा दी गईं। राष्ट्रवाद भाजपा का एजेंडा नहीं, बल्कि सिर्फ चुनाव और सत्ता ही उनकी आत्मा बन गई है। अजीत पवार ने कहा, ‘हमारे वकीलों की दलीलें सुनने के बाद चुनाव आयोग द्वारा दिए गए पैâसले को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं।’ अजीत पवार ने ऐसा अतिविनम्र आविर्भाव जताया। ये तो दिखावा है। इन घटनाक्रमों के पीछे मोदी-शाह की गारंटी का सूत्र है। जब शिंदे को इस तरह से शिवसेना की कमान सौंपी गई तो इन्हीं अजीत पवार ने सार्वजनिक तौर पर कहा था, ‘यह ठीक नहीं है। जिन्होंने पार्टी बनाई, उनसे पार्टी छीन ली गई, चुनाव चिह्न छीन लिया गया। यह काम चुनाव आयोग ने किया, लेकिन क्या लोग सहमत हुए?’ यह बात अजीत पवार ने शिवसेना के बारे में तब कही थी, लेकिन आज अजीत पवार ने उसी अंदाज में राष्ट्रवादी कांग्रेस पर दावा ठोका और जीत गए। अजीत पवार और उनके घाती मंडली को जवाब देना चाहिए कि क्या लोग अब इससे सहमत हैं? वह शरद पवार ही थे जिन्होंने अजीत पवार को खड़ा किया, लेकिन अब ऐसा हो गया है कि जैसे केंचुए ने समुद्र पर दावा कर दिया हो। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टियां जनमानस में रची बसी हैं। चुनाव आयोग के कागजी फैसले से उनके अस्तित्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस नतीजे के पीछे कोई ‘अदृश्य शक्ति’ है, ऐसा श्री शरद पवार ने कहा। यह कोई अदृश्य शक्ति नहीं बल्कि महाराष्ट्र की स्वाभिमानी गर्दन पर बैठा भूत है। इस भूत को हमेशा के लिए दफना देना होगा। एकनाथ शिंदे, अजीत पवार ने महाराष्ट्र के विध्वंसी के रूप में काम किया और महाराष्ट्र ऐसे विध्वंसियों को कभी माफ न्ाहीं करेगा। शिवसेना ऐसे कई घावों को झेलकर खड़ी है। उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र दौरों से तूफान आ गया है। शरद पवार भी कई तूफानों और संकटों को झेलकर खड़े ही हैं। चुनाव आयोग महाराष्ट्र के इस उत्साह को कैसे खत्म करेगा? मोदी-शाह की अप्रामाणिक गारंटी और चुनाव आयोग के असंवैधानिक भीड़तंत्र को पराजित किए बिना महाराष्ट्र की जनता नहीं रहेगी!

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