राह बनाना

जीवन को सुलझाना होगा ।
उलझन दूर भगाना होगा।।
अंधेरों के इस जंगल में।
खुद ही राह बनाना होगा।।
भीतर के सोए विवेक को।
प्रातः काल जागाना होगा।।
थोड़ी-थोड़ी अकल लगाकर।
सूरज से बतियाना होगा।।
अंधेरे के हर दुश्मन को।
अपने साथ मिलाना होगा।।
सबको अपने साथ मिलाकर ।
सादर कदम बढ़ाना होगा ।।
नैतिक मूल्यों की सेवा में।
सारा समय लगाना होगा।।
मानवतावादी सपनों को ।
फिर से यहां जागना होगा।।
आंखों में जो धूल झोंकते।
उनको सबक सिखाना होगा।।
भारत मां के श्री चरणों में ।
हरदम शीश झुकाना होगा ।।
-अन्वेषी

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