विक्रम सिंह / सुल्तानपुर
इंडिया गठबंधन के पीडीए फार्मूले में उलझकर पूर्वांचल की तीन चौथाई से ज्यादा सीटें गवां देने वाली भाजपा सुल्तानपुर में भी बुरी तरह परास्त हुई। यहां आठ बार लोकसभा सदस्य रह चुकी देश की कद्दावर राजनीतिज्ञ बीजेपी उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को संसदीय क्षेत्र के पांच में से सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र कादीपुर में ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी रामभुवाल निषाद के समक्ष लीड मिली, बाकी चारों में उन्हें अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा।
बता दें कि अयोध्या परिक्षेत्र की सुल्तानपुर सीट पर 2014 से ही दबदबा रहा है। पहले वरुण गांधी और फिर मेनका गांधी इस सीट से भाजपा की सांसद चुनी गईं। इस बार भाजपा को हैट्रिक की उम्मीद थी, लेकिन उसे मायूस होना पड़ा। यहां पहली बार इंडिया गठबंधन से सपा का खाता खुला। उसके घोषित उम्मीदवार गोरखपुर निवासी रामभुवाल निषाद ऐन चुनाव के वक़्त सुल्तानपुरवासियों से मुखातिब हुए और बड़ी ही आसानी से चुनावी समर जीत लिया। उन्हें शहर से लेकर गांव तक हर जगह वोटरों ने बढ़त दिलाई। इंडिया गठबंधन प्रत्याशी को सर्वाधिक वोट मिले सुल्तानपुर विसक्षेत्र में। यहां गठबंधन प्रत्याशी रामभुवाल को रिकॉर्ड एक लाख एक हजार दो सौ छत्तीस वोट मिले। जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी की मेनका को मिल सके सिर्फ 84,169 वोट। इस विधानसभा में जिला मुख्यालय का शहरी वोटर भी शामिल है। दूसरे नंबर पर रही इसौली। जहां बीजेपी ने पाए 76,886 वोट, जबकि गठबंधन ने 94,204 वोट पाकर भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यहां के बाहुबली क्षत्रप भद्र बंधुओं के सपा में शामिल होने का लाभ भी उसे मिला। तीसरे नंबर पर रहा लंभुआ, जहां पर सपा ने 89,072 वोट हासिल करके भाजपा को चौंका दिया है। यहां से बीजेपी को मात्र 74,798 वोट ही मिल सके। जबकि चुनाव के वक़्त कई क्षत्रिय क्षत्रपों ने भाजपा ज्वाइन करके उम्मीदें जगाई थीं। सदर सीट भी है भाजपा के कब्जे में। यहां से राजबाबू उपाध्याय विधायक हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में सदर सीट सपा से पिछड़ गई। यहां भाजपा को मिले 74,798 वोट, जबकि सपा ने हासिल किए 75,981 वोट। अकेली कादीपुर विधानसभा रही, जहां भाजपा प्रत्याशी मेनका ने बढ़त बनाई। यहां भाजपा ने 85,218, जबकि सपा सिर्फ 80,752 मत ही हासिल कर पाई। जिस तरह से सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ लोसचुनाव में वोट पड़े हैं, ये आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिये खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।