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जेट्टी निर्माण के लिए कटेंगे मैंग्रोव्ज … हाई कोर्ट ने दी मंजूरी  पर्यावरण को नुकसान संभव

सामना संवाददाता / मुंबई
नई मुंबई के उरण स्थित नौसेना स्टेशन करंजा में छोटे युद्धपोतों और यात्री नौकाओं के लिए जेट्टी निर्माण के नाम पर मैंग्रोव्ज काटने की इजाजत दे दी गई है। मुंबई हाई कोर्ट ने इस परियोजना को जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताते हुए इसकी अनुमति दी, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रशासन की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों में गड़बड़ी है।
सरकार के दांवों के अनुसार, इस परियोजना के लिए सिर्फ २१ मैंग्रोव्ज काटे जाने थे, लेकिन कोर्ट में पेश की गई याचिका में ४५ मैंग्रोव्ज काटने की बात सामने आई। पर्यावरणविदों का कहना है कि प्रशासन लगातार सटीक आंकड़े छुपाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली परियोजना को आगे बढ़ा रहा है।
जनहित के नाम पर पर्यावरण से समझौता
अदालत ने कहा कि परियोजना से हुए नुकसान की भरपाई के लिए याचिकाकर्ता ने ५.१३ लाख रुपए का मुआवजा जमा किया है। सवाल यह उठता है कि क्या कुछ लाख रुपए की भरपाई पर्यावरण के नुकसान की कीमत हो सकती है?
पर्यावरणविदों का तर्क है कि मैंग्रोव्ज तटीय क्षेत्रों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच हैं, जो समुद्री जलस्तर बढ़ने और चक्रवातों से बचाते हैं, लेकिन सरकार बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के नाम पर इन्हें काटने की मंजूरी देती जा रही है।
परियोजना की निगरानी कौन करेगा?
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का वन विभाग इस परियोजना को उचित नियमों के तहत लागू करेगा। हालांकि, पर्यावरण संगठनों का कहना है कि प्रशासन की निगरानी प्रणाली पहले भी कई बार फेल हो चुकी है।
जनवरी २०११ की सीआरजेड अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया था कि तटरेखा से जुड़ी परियोजनाओं को ही विशेष अनुमति दी जा सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हर बार सरकारी प्रोजेक्ट्स को इस नियम के अपवाद के रूप में रखा जाएगा।

 

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